
70वीं बीपीएससी परीक्षा के अभ्यर्थियों ने बुधवार शाम भागलपुर सैंडिस कंपाउंड में कैंडल मार्च निकालकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इस मार्च को ‘शिक्षा सत्याग्रह’ का नाम दिया गया, जिसमें अभ्यर्थियों ने “प्रोटेस्ट नहीं – रिक्वेस्ट, विवाद नहीं – संवाद, व्यवधान नहीं – समाधान” के नारों के साथ अपनी मांगें रखीं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी रही।
परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप।
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि BPSC ने कदाचार मुक्त और धांधली मुक्त परीक्षा का दावा किया था, लेकिन इसके विपरीत कई जिलों से गड़बड़ियों की खबरें सामने आईं। बापू सभागार में आयोजित परीक्षा के दौरान अनियमितताओं की पुष्टि हुई, जिससे 12,000 परीक्षार्थियों की परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। अभ्यर्थियों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में परीक्षा स्थगन से पूरे रिजल्ट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
फिर से परीक्षा कराने की मांग।
अभ्यर्थियों ने BPSC से परीक्षा दोबारा कराने की मांग की। उनका कहना है कि सभी छात्रों को समान अवसर और पारदर्शी प्रक्रिया का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई छात्रों को 200-300 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए, जिससे उनकी तैयारी और प्रदर्शन प्रभावित हुआ। इस दूरी का औचित्य समझ से परे है।
आंदोलन की अगली रणनीति।
कैंडल मार्च के बाद अभ्यर्थियों ने बैठकर अपनी आगे की रणनीति बनाई। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे पटना जाकर अपनी बात रखेंगे।
अभ्यर्थियों की अपील।
BPSC अभ्यर्थियों ने इस प्रदर्शन को प्रोटेस्ट नहीं, बल्कि एक शांतिपूर्ण अपील के रूप में रखा है। उनका कहना है कि यह आंदोलन विवाद से ज्यादा समाधान की ओर ध्यान केंद्रित करता है। उनकी एकमात्र मांग है कि सभी छात्रों के साथ समान और पारदर्शी व्यवहार हो।
इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने एक बार फिर परीक्षा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित किया है।