
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नगर निकाय चुनाव चार महीने में कराने का सख्त आदेश दिया है। जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने यह निर्देश अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका रोशनी खलखो और अन्य की ओर से दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी और नगर विकास सचिव सुनील कुमार कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे।
कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह अद्यतन मतदाता सूची राज्य निर्वाचन आयोग को प्रदान करे ताकि चुनाव की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। साथ ही, मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में उपस्थित होने से छूट दे दी गई है।
कई जिलों में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया लगभग पूरी.
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को दिए गए आदेश का पालन न करने पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने पूछा कि अब तक चुनाव की तारीखें क्यों घोषित नहीं हुईं। इसके जवाब में राज्य सरकार ने बताया कि नगर निकायों में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया चल रही है, जो कई जिलों में पूरी हो चुकी है और कुछ में अंतिम चरण में है। इसके अलावा, भारत निर्वाचन आयोग से अब तक अद्यतन मतदाता सूची प्राप्त न होने को भी देरी का कारण बताया गया।
क्या ट्रिपल टेस्ट के बिना भी हो सकते हैं चुनाव?
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुसार, ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव टालना गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार चुनाव कराने में रुचि नहीं रखती। इस आधार पर उन्होंने सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की।
चुनाव में देरी पर कोर्ट नाराज.
कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नगर निकाय चुनाव न कराना अवमानना का स्पष्ट मामला है। हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में भी कहा था कि ओबीसी आरक्षण के नाम पर चुनाव टालना स्वीकार्य नहीं है।
गौरतलब है कि झारखंड में नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो गया था। नए कार्यकाल के लिए चुनाव 27 अप्रैल 2023 तक हो जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद राज्य सरकार पर चुनाव प्रक्रिया जल्द पूरी करने का दबाव बढ़ गया है।