परवेज़ आलम की रिपोर्ट…….
केरल के वायनाड से 52 वर्षीय प्रियंका गांधी वाड्रा की ऐतिहासिक जीत ने लोकसभा में एक नई कहानी लिख दी। दशकों बाद पहली बार संसद में गांधी परिवार के तीन सदस्य साथ नजर आ रहे हैं। लेकिन प्रियंका का संसद में पदार्पण सिर्फ जीत तक सीमित नहीं था; ये एक राजनीतिक और सांस्कृतिक बयान भी था।
साड़ी, संविधान और इंदिरा की छवि—
प्रियंका जब सफेद साड़ी पर गोल्डन बॉर्डर में संसद भवन पहुंचीं, तो हर निगाह उन पर टिक गई। उनका लुक वायरल हो गया, और लोगों को उनमें देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की झलक नजर आई। चलने का अंदाज, शपथ के दौरान संविधान की किताब थामे हुए उनका संजीदा अंदाज, हर बात इंदिरा की याद दिला गई।
वाड्रा का जवाब, प्रियंका का समय—
इस चर्चा को हवा तब मिली, जब प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने एक इंटरव्यू में इस तुलना पर सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, “प्रियंका भले ही इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं, लेकिन वह अपने समय के हिसाब से राजनीति कर रही हैं। तब और अब की राजनीति में बहुत फर्क है।”
‘दूसरी इंदिरा गांधी’ के नारे—
ये तुलना नई नहीं है। कांग्रेस के मंचों पर दूसरी इंदिरा गांधी के नारे लगते रहे हैं। 2019 में दिल्ली में आयोजित प्रियंका के पहले रोड शो में ये नारा पहली बार गूंजा था—
“प्रियंका नहीं आंधी है, दूसरी इंदिरा गांधी है!” उस रोड शो में प्रियंका ने अपनी शैली से समर्थकों का दिल जीत लिया था, और आज वायनाड की जीत के बाद उनके समर्थकों का ये विश्वास और भी मजबूत हो गया है। लोकसभा में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अब प्रियंका गांधी वाड्रा का एक साथ होना कांग्रेस के लिए एक संघर्ष और उम्मीद का प्रतीक है। दशकों बाद, गांधी परिवार की यह त्रिमूर्ति भारतीय राजनीति के मंच पर एक नई कहानी लिखने को तैयार है।