
शिक्षक से सांसद तक का प्रेरणादायक सफर थमा.
गिरिडीह: झारखंड की राजनीति ने एक अनुभवी और सज्जन नेता को खो दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दो बार कोडरमा से लोकसभा सांसद रहे तिलकधारी सिंह का सोमवार को निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। गिरिडीह के नवजीवन अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
तिलकधारी सिंह की तबीयत 8 अप्रैल से लगातार खराब चल रही थी। 19 अप्रैल को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने अस्पताल जाकर उनका हालचाल लिया था । इससे पहले पूर्व सीएम रघुवर दास, बाबू लाल मरंडी और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी अस्पताल जाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी । सोमवार की दोपहर टीडी सिंह के जीवन का आखिरी पन्ना बंद हो गया। निधन की जानकारी उनके पुत्र किशोर सिंह ने दी।
गांव से दिल्ली तक: शिक्षक से सांसद बनने की यात्रा.
तिलकधारी सिंह का जन्म 8 जनवरी 1938 को गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड अंतर्गत चतरो गांव में हुआ था। शिक्षा के प्रति गहरी रुचि रखने वाले सिंह ने बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1962 में शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। चकाई हाई स्कूल में वर्षों तक सेवा देने के बाद उन्होंने सामाजिक जीवन की ओर रुख किया।
1968 में उन्होंने मुखिया पद का चुनाव लड़ा और जीतकर ग्रामीण राजनीति में प्रवेश किया। इसके बाद वे जिला परिषद के अध्यक्ष भी बने। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है – उन्होंने जिले में कई सरकारी स्कूलों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी।
राजनीति में कांग्रेस का मजबूत चेहरा.
1977 में वे कांग्रेस के गिरिडीह जिला अध्यक्ष बने। इसके बाद 1980 में धनवार विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। फिर 1984 में कांग्रेस ने उन्हें कोडरमा लोकसभा सीट से टिकट दिया, और उन्होंने जीत दर्ज कर संसद में प्रवेश किया। इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के रीतलाल प्रसाद वर्मा को हराया था और 208731 वोट हासिल किए थे – जो कुल मतों का 58.8 प्रतिशत था।
1999 में उन्होंने दूसरी बार कोडरमा से जीत दर्ज की और संसद पहुंचे। अपने राजनीतिक जीवन में वे सांसद के साथ-साथ विधायक, जिला परिषद अध्यक्ष, और कांग्रेस संगठन के अहम पदों पर रहे।
राजनीतिक विरासत और परिवार.
राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहते हुए, वृद्धावस्था में उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र धनंजय सिंह को सौंपी। वर्तमान में धनंजय सिंह कांग्रेस के गिरिडीह जिला अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।
सरल स्वभाव के कारण लोकप्रिय नेता.
तिलकधारी सिंह को उनके सादे जीवन और सरल स्वभाव के लिए जाना जाता था। आम जनता से लेकर बड़े नेताओं तक, सभी को उनके बोलचाल की शैली और व्यवहार में विनम्रता आकर्षित करती थी। वे ज़िले मे भूमिहार समाज के बड़े नेता थे ।
श्रद्धांजलियाँ और राजनीतिक शोक
पूर्व सांसद के निधन पर पूरे गिरिडीह जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। मंत्री सुदिव्य कुमार ने उन्हें गिरिडीह की राजनीति का ‘पितामह’ बताते हुए कहा, “उनकी कमी गिरिडीह की राजनीतिक धरातल पर हमेशा महसूस की जाएगी। उनका योगदान अमिट है ।
शोक व्यक्त करने वालों में सासंद डॉ सरफराज अहमद ,बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश सहाय, कांग्रेस नेता अजय सिन्हा, कार्यकारी अध्यक्ष सतीश केडिया, पूर्व विधायक निर्भय शाहबादी,अभय शाहबादी , लोजपा नेता राज कुमार राज सहित अनेक बुद्धिजीवी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं।