परवेज़ आलम की रिपोर्ट ……….
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन , जो ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के निशाने पर तो हैं, लेकिन हाईकोर्ट से मिली राहत ने उनकी मुश्किलों को कुछ कम कर दिया है।
क्या है मामला?
हेमंत सोरेन पर ईडी ने जमीन घोटाले के मामले में 10 समन जारी किए थे। लेकिन इन 10 में से उन्होंने केवल दो बार ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद ईडी ने समन की अवहेलना का मामला कोर्ट में ले जाकर शिकायतवाद दर्ज कराया।
हाईकोर्ट का फैसला।
झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस ए.के. चौधरी की बेंच ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए हेमंत सोरेन को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी। हाईकोर्ट ने ईडी को 16 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने पहले ही एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा जारी हेमंत सोरेन के खिलाफ हाजिरी के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब इस राहत के बाद हेमंत सोरेन को फिलहाल अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है।
ईडी का आरोप।
ईडी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन ने समन की बार-बार अवहेलना की है। 10 समन में केवल 20 और 31 जनवरी को ही वे ईडी के सामने पेश हुए। ईडी इसे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन मान रहा है।
हेमंत सोरेन कहां हैं?
जब झारखंड हाईकोर्ट से राहत की खबर आई, उस समय हेमंत सोरेन दिल्ली में थे। वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से शिष्टाचार मुलाकात के लिए गए हैं। साथ में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद हैं।
दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे दिग्गज नेताओं से मुलाकात की थी। अब वे उज्जैन जाकर महाकाल की पूजा-अर्चना करने की योजना में हैं।
क्या यह राहत स्थायी है?
हालांकि हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से मिली यह छूट एक अस्थायी राहत है। ईडी 16 जनवरी तक जवाब दाखिल करेगा, और उसके बाद अदालत का अगला कदम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
बड़ा सवाल?
- क्या ईडी का यह केस झारखंड की राजनीति को नया मोड़ देगा?
- क्या यह मामला सिर्फ कानूनी है, या इसके पीछे राजनीतिक साजिशें भी हैं?
- और सबसे अहम, क्या हाईकोर्ट से मिली राहत हेमंत सोरेन को लंबे समय तक बचा पाएगी?