
रिपोर्ट-परवेज़ आलम
…….तो आखिर वही हुआ जिसका डर था। एक और जेल ब्रेक, एक और सुरक्षा में सेंध, और प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए! रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से फरार PLFI उग्रवादी समीर तिर्की का 24 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं मिला। मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस जेल से कैदी इतने आराम से फरार कैसे हो जाते हैं?
तीन लेयर की सुरक्षा में आखिर सेंध कैसे?
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। तीन परतों की सुरक्षा व्यवस्था होने का ढोल पीटा जाता है। लेकिन हकीकत यह है कि इन दावों के बीच से ही समीर तिर्की चकमा देकर निकल गया! सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह कि जेल प्रशासन की नाक के नीचे आखिर यह हुआ कैसे? क्या यह सिर्फ लापरवाही है, या फिर कुछ और?
जेल प्रशासन की घोर लापरवाही, 6 कक्षपाल निलंबित
हर बार की तरह इस बार भी लापरवाही का ठीकरा जेल प्रशासन पर फूटा है। जेल आईजी सुदर्शन मंडल ने आनन-फानन में छह कक्षपालों को निलंबित कर दिया है। इनमें बीचा मुण्डा, सतन नायक, सोमन लोहार, राकेश कुमार सिंह, रामजीत महतो और गोपाल सिंह के नाम शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इनकी लापरवाही के चलते समीर तिर्की फरार हो सका। लेकिन क्या सिर्फ इन छह लोगों की गलती है, या फिर इसमें कोई अंदरूनी मिलीभगत भी है?
जेलर और अधीक्षक का पद खाली, फिर कौन जिम्मेदार?
अब ज़रा इस जेल की व्यवस्था पर गौर कीजिए। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में न तो स्थायी अधीक्षक है और न ही स्थायी जेलर। मतलब यह कि जो लोग वहां तैनात हैं, वे केवल प्रभार में काम कर रहे हैं। तो फिर सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी थी? क्या यह पूरा तंत्र ही ध्वस्त हो चुका है?
कैदी निकला, कैमरे देखते रहे!
कैदी के फरार होने का CCTV फुटेज भी सामने आया है। इसमें साफ दिख रहा है कि समीर तिर्की जेल के मुख्य गेट की ओर बढ़ रहा है। लेकिन सवाल यह है कि जब मुख्य गेट पर 10 सुरक्षाकर्मी तैनात थे, तो फिर समीर कैसे बच निकला? कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी ने जानबूझकर इसे अनदेखा किया? क्या यह एक सुनियोजित जेल ब्रेक था?
समीर तिर्की: कौन है यह फरार कैदी?
गुमला का रहने वाला समीर तिर्की कोई साधारण अपराधी नहीं था। वह पहले पहाड़ी चिता नामक उग्रवादी संगठन से जुड़ा था, फिर जोनल कमांडर परमेश्वर गोप और एरिया कमांडर बसंत तिर्की के साथ कई वारदातों को अंजाम दिया। 2013 में अपहरण और हत्या के मामले में उसे पकड़ा गया था, और 2022 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
प्रशासन की नींद अब तक नहीं खुली!
24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। तमाम संभावित ठिकानों पर छापेमारी हो रही है, लेकिन नतीजा शून्य! रांची के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन से लेकर गुमला स्थित उसके घर तक, हर जगह तलाशी ली जा रही है, मगर कोई सुराग नहीं।
जेल प्रशासन पर बड़े सवाल
- कैसे तीन लेयर की सुरक्षा में सेंध लगी?
- कैमरों के सामने कैदी बाहर निकलता रहा, कोई कुछ क्यों नहीं बोला?
- स्थायी अधीक्षक और जेलर की पोस्टिंग क्यों नहीं हुई?
- क्या यह किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है?
इन सवालों के जवाब किसके पास हैं? या फिर यह भी किसी और जेल ब्रेक की तरह धीरे-धीरे भुला दिया जाएगा? प्रशासन मौन है, सरकार मौन है, लेकिन यह मामला मौन नहीं रहेगा।