
परवेज़ आलम की रिपोर्ट …….
अब पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे वर्ष 2024 के तीन सर्वश्रेष्ठ थानों में शामिल किया है। और यह सम्मान तब और खास बन जाता है, जब खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29 नवंबर को भुवनेश्वर में आयोजित एक भव्य समारोह में निमियाघाट के थाना प्रभारी राणा जंगबहादुर को ट्रॉफी देकर सम्मानित करेंगे।
थाने का चयन कैसे हुआ?
हर साल केंद्रीय गृह मंत्रालय देश के थानों का निरीक्षण करता है। लेकिन यहां महज़ इमारत की हालत नहीं देखी जाती, बल्कि पुलिस का जनता के प्रति व्यवहार, थाना परिसर की साफ-सफाई, दिव्यांगों के लिए सुविधाएं, फायर सेफ्टी, और यहां तक कि पुलिसकर्मियों के लिए फिटनेस की व्यवस्था तक हर पहलू पर बारीकी से जांच की जाती है।
गिरिडीह के थाने का राष्ट्रीय स्तर पर नाम!
निमियाघाट का यह सफर साधारण नहीं है। इस थाने को अपनी पेंट्री, अनुसंधान अधिकारियों के लिए अलग कमरे, सीसीटीवी जैसी सुविधाओं और पुलिसकर्मियों के अनुकरणीय व्यवहार की बदौलत यह उपलब्धि हासिल हुई है। आम जनता से पुलिस का सहज और सम्मानजनक संवाद, जो अक्सर बड़े शहरों में भी दुर्लभ होता है, यहां एक मानक बन चुका है।
राणा जंगबहादुर—इस सफलता के नायक!
इस थाने की उत्कृष्टता के पीछे तत्कालीन थाना प्रभारी राणा जंगबहादुर का नाम है, जिनके कार्यकाल में यह निरीक्षण हुआ। अब यह देखना दिलचस्प होगा जब 29 नवंबर को अमित शाह के हाथों ट्रॉफी ग्रहण कर राणा न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश को यह संदेश देंगे कि छोटे कस्बों और गांवों की पुलिसिंग भी राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल बन सकती है।
क्या झारखंड पुलिस ने एक नया मानक स्थापित किया है?
ऐसे समय में जब पुलिसिंग को लेकर आलोचनाएं आम हैं, निमियाघाट थाना यह साबित करता है कि सही दिशा और नेतृत्व में पुलिस प्रणाली जनता की भरोसेमंद साथी बन सकती है।
तो सवाल यह है—क्या यह सिर्फ एक ट्रॉफी तक सीमित रहेगा, या झारखंड की पुलिसिंग इस उपलब्धि को पूरे राज्य में दोहराने की दिशा में काम करेगी? भुवनेश्वर में गूंजेगा निमियाघाट का नाम, लेकिन इसकी असली परीक्षा झारखंड की बाकी थानों में सुधार की यात्रा में छिपी होगी।