
परवेज़ आलम की कलम से……
आज झारखंड में एक अद्भुत भावनात्मक संगम देखने को मिला। एक ओर शहादत की गूंज थी, तो दूसरी ओर राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा। परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की शहादत दिवस और देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन ने झारखंड की मिट्टी से जुड़े इन महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि दी।
अल्बर्ट एक्का: शौर्य की जीवित गाथा
महात्मा गांधी मार्ग, रांची में अल्बर्ट एक्का की प्रतिमा पर पुष्पचक्र अर्पित करते हुए राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा, “लांस नायक अल्बर्ट एक्का का साहस और बलिदान केवल झारखंड नहीं, पूरे देश का गौरव है। उनका जीवन हर भारतवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके वीरता की गाथा सदियों तक अमर रहेगी।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस अवसर पर शहीद को नमन करते हुए झारखंड के वीर सपूतों के अद्वितीय योगदान को रेखांकित किया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद: सादगी का अनूठा आदर्श
इसके बाद डोरंडा स्थित राजेंद्र चौक पर देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। राज्यपाल गंगवार ने कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सादगी, निस्वार्थ सेवा, और राष्ट्र निर्माण में योगदान हर पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक हैं। उनकी निष्ठा हमें बताती है कि महानता दिखावे में नहीं, कर्म में होती है।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदर्श झारखंड जैसे उभरते राज्य के लिए विकास और समानता के पथ पर चलते रहने की प्रेरणा देते हैं।
अल्बर्ट एक्का की शहादत और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की सादगी—दो कहानियां, दो मिसाल। एक ने मातृभूमि के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया, तो दूसरे ने राष्ट्र को मजबूत करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया। आज झारखंड ने इन दोनों को याद कर एक बार फिर अपनी मिट्टी की गहराई और गर्व को महसूस किया।