
रांची की सुबह आज नई उम्मीदों से रोशन हुई है। झारखंड सरकार ने दिव्यांग और अनाथ विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से, राज्य सरकार इन बच्चों की उच्च और तकनीकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी।
क्या है योजना?
सरकार 10 लाख रुपये तक की ट्यूशन फीस खुद वहन करेगी और हर महीने छात्रों को 4,000 रुपये भत्ता भी दिया जाएगा। छात्रों के लिए एक “ऑनलाइन पोर्टल” तैयार किया जा रहा है, जहां वे इस योजना के तहत आवेदन कर सकेंगे।
किसे मिलेगा लाभ?
सरकार की नई “वाल्मीकि छात्रवृत्ति योजना” का उद्देश्य हर साल 12,000 स्नातक और परास्नातक छात्रों और 1,200 व्यावसायिक कोर्स करने वाले विद्यार्थियों तक पहुंचना है। लेकिन ये संख्या आखिरी नहीं है। राज्य के किसी भी संस्थान में नामांकन लेने वाले छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। अन्य राज्यों के छात्रों के लिए यह सुविधा केवल टॉप श्रेणी के संस्थानों में पढ़ाई करने वालों तक सीमित रहेगी।
शर्तें क्या हैं?
लाभुक को झारखंड का स्थानीय निवासी होना चाहिए।
डिप्लोमा के लिए दसवीं और डिग्री कोर्स के लिए दसवीं व बारहवीं झारखंड के स्कूलों से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
क्यों है ये कदम ऐतिहासिक?
दिव्यांग और अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा की राह अब न केवल आसान होगी, बल्कि यह उनके सपनों को साकार करने का एक बड़ा माध्यम बनेगी। 99.66 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह योजना, न केवल आर्थिक बाधाओं को हटाएगी, बल्कि समाज में समावेशिता और समानता का एक नया अध्याय भी लिखेगी।
सरकार की सोच और तैयारी
इस योजना की निगरानी के लिए एक विशेष समिति बनाई जाएगी, जिसमें उच्च शिक्षा निदेशक, सामाजिक सुरक्षा निदेशक और तकनीकी शिक्षा निदेशक जैसे विभागीय पदाधिकारी शामिल होंगे। सरकार ने इसे जनवरी-फरवरी 2025 में लांच करने का लक्ष्य तय किया है।
“ये कदम सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि उन अनगिनत सपनों की बुनियाद है, जो अब उड़ान भरने को तैयार हैं।” झारखंड सरकार की यह पहल एक मिसाल है, जो पूरे देश को दिखाती है कि शिक्षा का हक हर बच्चे का है।
आइए, इस बदलाव का हिस्सा बनें, जहां हर बच्चा पढ़ेगा, बढ़ेगा और सपनों को हकीकत में बदलेगा!