परवेज़ आलम की रिपोर्ट……..
झारखंड सरकार के नए मंत्रिमंडल गठन को लेकर इंडिया गठबंधन के भीतर सियासी सरगर्मी चरम पर है। झामुमो, कांग्रेस, और राजद के बीच ‘छह-चार-एक’ का फॉर्मूला तो तय हो चुका है, लेकिन असली दांवपेंच अभी बाकी हैं। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में कौन-कौन जगह पाएगा, इसका खुलासा फिलहाल टलता दिख रहा है।
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद
मंत्रिमंडल विस्तार के लिए हर दल जातीय और प्रमंडलीय समीकरणों को साधने में जुटा है। झामुमो, कांग्रेस और राजद यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि पूरे राज्य को समेटते हुए हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। साथ ही, पार्टी के भीतर असंतोष को भी थामे रखा जाए।
“हर प्रमंडल और हर जाति का प्रतिनिधित्व हो, यह मंत्रिमंडल का लक्ष्य है,” पार्टी सूत्रों का कहना है।
कांग्रेस का दिल्ली दरबार
कांग्रेस के विधायक मंत्री पद की दावेदारी को लेकर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। अनुभव, क्षेत्र, जाति और सामाजिक समीकरणों को आधार बनाकर अपनी दावेदारी पेश करने का दौर जारी है। इस बार कांग्रेस चार मंत्री पद और विधायक दल के नेता-उपनेता की भूमिका को अलग-अलग करना चाहती है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश और अन्य नेता आलाकमान से मंत्रियों के नाम तय करने में जुटे हैं।
झामुमो का पुराना फॉर्मूला बरकरार?
झामुमो की ओर से संकेत मिले हैं कि इस बार का फॉर्मूला पिछली सरकार की तर्ज पर रहेगा। कोल्हान प्रमंडल से रामदास सोरेन, दीपक बिरुआ और सविता महतो जैसे नेताओं के नाम चर्चा में हैं। वहीं, संताल से एमटी राजा और पलामू से अनंत प्रताप देव के नाम पर भी विचार किया जा रहा है।
इंडिया गठबंधन की चुनौती: तालमेल और नाराजगी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन ने जहां राज्य की राजनीतिक धारा को नया आकार दिया, वहीं मंत्रिमंडल गठन में संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। गठबंधन की कोशिश है कि हर प्रमंडल, जाति और समुदाय को बराबरी से शामिल किया जाए।
पिछली सरकार में पलामू और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल को कांग्रेस से प्रतिनिधित्व नहीं मिला था, लेकिन इस बार इन क्षेत्रों को जगह मिलने की संभावना है।
विधानसभा सत्र से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार?
माना जा रहा है कि नौ दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार का काम पूरा हो जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह विस्तार पार्टी के भीतर के असंतोष को शांत कर पाएगा?
सियासी समीकरणों का इम्तिहान
झारखंड का मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ संख्या का खेल नहीं है, यह सियासी संतुलन का इम्तिहान है। झामुमो, कांग्रेस और राजद की साझेदारी को स्थानीय बनाम बाहरी, जातीय समीकरण और क्षेत्रीय असंतोष की धाराओं के बीच तालमेल बिठाना होगा।