
RANCHI: झारखंड में विधानसभा सत्र के दौरान माहौल तनातनी का है। नक्सली खतरे के अलर्ट ने पुलिस और प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है। CM हेमंत सोरेन से लेकर विधायकों तक, हर किसी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। स्पेशल ब्रांच (SB) की रिपोर्ट ने कई इलाकों को संवेदनशील घोषित किया है।
“लाल इलाकों की पहचान, सुरक्षा का ब्लूप्रिंट तैयार”
SB की रिपोर्ट में रांची से लेकर गिरिडीह और गुमला तक, कई इलाकों को खतरनाक बताया गया है। इन रास्तों पर नेताओं के आवागमन के दौरान सुरक्षा कड़ी रहेगी। तैमारा घाटी, चुटूपालू और टाटीझरिया जैसे इलाके लिस्ट में टॉप पर हैं। यहां पुलिस गश्त बढ़ाई जाएगी और लांग रेंज पेट्रोलिंग शुरू होगी।
“सड़कों पर निगरानी, जंगलों पर नजर”
सुरक्षा की योजना सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है। रांची-लातेहार, खूंटी-चाईबासा, और गुमला-सिमडेगा जैसे जंगलों वाले रास्तों पर पुलिस की मुस्तैदी और बढ़ा दी गई है। बेतला, अमझारिया और महुआडांड़ घाटियों में पुलिस चौकसी बढ़ गई है। “हर घात को नाकाम करना हमारा लक्ष्य है,” पुलिस अधिकारियों का कहना है।
“नेताओं पर मंडराता खतरा”
SB का कहना है कि उग्रवादियों ने पहले भी विधानसभा सत्र के दौरान घटनाओं को अंजाम दिया है। इस बार संभावित हमलों के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। “सड़क से सदन तक, हर नेता सुरक्षित रहेगा,” प्रशासन ने दावा किया।
“यहां है सबसे ज्यादा खतरा”
तैमारा घाटी, चुटूपालू, टाटीझरिया से लेकर चंदवा और बड़कागांव तक, खतरे की लिस्ट लंबी है। इन इलाकों में पुलिस की 24×7 निगरानी रहेगी। गढ़वा, बोकारो और चाईबासा के जंगल भी सूची में शामिल हैं।
“सरकार का वादा: कोई चूक नहीं”
इस बार सरकार और प्रशासन नक्सली चुनौतियों को लेकर खासा सतर्क हैं। “हमारे नेता सुरक्षित हैं और रहेंगे,” मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान आया है।
सुरक्षा के इस पुख्ता इंतजाम के साथ झारखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि नक्सली खतरों को जवाब देने के लिए वो हर कदम उठाने को तैयार है। अब देखना है कि सुरक्षा की यह दीवार कितनी मजबूत साबित होती है।