
परवेज़ आलम की खास रिपोर्ट …………
झारखंड पुलिस ने 2024 की समाप्ति के साथ अपनी उपलब्धियों का लेखा-जोखा पेश किया है। दावा है कि राज्य में नक्सलवाद, अपराध, साइबर क्राइम, और मादक पदार्थों के खिलाफ चलाए गए अभियानों में बड़े पैमाने पर सफलता मिली है।
आईजी (ऑपरेशन) एवी होमकर की मानें तो पुलिस ने माओवादी गतिविधियों पर शिकंजा कसते हुए 244 माओवादियों को गिरफ्तार किया है। इनमें एसएसी सदस्य जया दी उर्फ चिंता, 10 लाख के इनामी जोनल कमांडर शंभू गंझू और सीताराम रजवार जैसे कुख्यात नाम शामिल हैं। इसके अलावा 24 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 9 मुठभेड़ों में मारे गए, और 123 हथियार बरामद किए गए। उन्होंने बताया कि सीपीआई (माओवादी) से अलग हुए समूह तृतीय प्रस्तुति समिति (टीपीसी) के कई उग्रवादियों को भी गिरफ्तार किया गया है। इनपर कुल 36 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने 246 किलो विस्फोटक, 13.39 लाख की लेवी के रुपए , और 239 आईईडी भी बरामद करने का दावा किया हैं।
नक्सलवाद रोकने पर ठोस नीति नहीं ।
झारखंड की पहाड़ियों में अब भी नक्सलियों की गतिविधियां खत्म नहीं हुईं। सवाल है कि ये गिरफ्तारियां राज्य के युवाओं को माओवादी संगठन से जुड़ने से कैसे रोकेंगी इस पर कोई थोड़ प्लानिंग अभी तक नहीं दिखती ।
साइबर क्राइम और मादक पदार्थों पर नकेल का दावा
2024 में पुलिस ने साइबर अपराध से जुड़े 1295 मामलों में 971 गिरफ्तारियां कीं और 8.18 करोड़ रुपये जब्त किए। “प्रतिबिंब एप” के जरिए 274 मामलों का समाधान और 77 लाख की वसूली ने तकनीकी अभियानों को एक नया आयाम दिया।
मादक पदार्थों के खिलाफ 1407 किलो अफीम और 4251 किलो गांजा जब्त किया गया। 3975 एकड़ में फैली अफीम की खेती नष्ट की गई।
अपराध पर लगाम या सिर्फ आंकड़ों का खेल?
154 अपराधियों की गिरफ्तारी, 97 संगठित अपराध के मामलों का निपटारा और अलकायदा के 4 आतंकियों की गिरफ्तारी—सुनने में जरूर बड़ा लगता है। लेकिन झारखंड की सड़कों पर बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर पुलिस की चुप्पी सवाल खड़े करती है।
नया साल, नई चुनौती!
झारखंड पुलिस ने 2025 के लिए जनता को शुभकामनाएं दी हैं और अपराध व उग्रवाद से मुक्ति का संकल्प दोहराया है। लेकिन क्या यह संकल्प सिर्फ प्रेस बयान तक सीमित रहेगा, या झारखंड सचमुच शांति और सुरक्षा के नए अध्याय की ओर बढ़ेगा? यह सवाल अभी भी बाकी है।