
रांची में आयोजित झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें महाधिवेशन मे एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन को “संस्थापक संरक्षक” का नया पद दिया है। वहीं अब तक कार्यकारी अध्यक्ष रहे हेमंत सोरेन को सर्वसम्मति से पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है । इस निर्णय पर मंगलवार को फ़ाइनल मुहर लगेगी ।
खेलगांव में दिखा झामुमो कार्यकर्ताओं का जोश, जय झारखंड के गगनभेदी नारे.
रांची के खेलगांव में चल रहे इस दो दिवसीय महाधिवेशन में राज्यभर से आए लगभग 3500 प्रतिनिधियोंकी उपस्थिति रही। जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्हीलचेयर पर गुरुजी यानी शिबू सोरेन को मंच तक लेकर पहुंचे, तो पूरा पंडाल “जय झारखंड” के नारों से गूंज उठा।
हालांकि स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के बावजूद शिबू सोरेन और उनकी पत्नी रूपी सोरेन पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद रहे। उन्होंने हाथ उठाकर उपस्थित कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद भी दिया। इस भावुक क्षण ने उपस्थित सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गहरे तौर पर प्रेरित किया।
मंगलवार को लगेगी अंतिम मुहर, नई केंद्रीय समिति का गठन भी होगा.
महाधिवेशन के दूसरे और अंतिम दिन, इस संशोधन प्रस्ताव पर औपचारिक मुहर लगेगी। इसके साथ ही पार्टी की नई केंद्रीय समिति का भी गठन किया जाएगा, जो आने वाले वर्षों में संगठन की दिशा और रणनीति तय करेगी।
हेमंत सोरेन की नेतृत्व यात्रा: संदेह से सम्मान तक.
2015 के जमशेदपुर महाधिवेशन में जब हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, तब उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए गए थे। लेकिन उन्होंने न केवल संगठन को मजबूत किया, बल्कि 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी शिकस्त दी।
विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने ‘संघर्ष यात्रा’ निकाल कर रघुवर दास सरकार के खिलाफ जनमत तैयार किया। परिणामस्वरूप झामुमो के नेतृत्व में गठबंधन ने सत्ता में वापसी की और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद हुए उपचुनावों में भी झामुमो ने बढ़त बरकरार रखी। जेल में रहते हुए भी उन्होंने गठबंधन के लिए ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाई – पांचों आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटें झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने जीतीं।
2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी को 34 सीटों पर जीत दिलाई और कांग्रेस, राजद, वाम दलों के साथ मिलकर 56 सीटों के बहुमत से दोबारा सरकार बनाई।
“देश ने देखा – झामुमो सिर्फ राज्य बना नहीं सकता, चला भी सकता है” – हेमंत सोरेन.
महाधिवेशन के उद्घाटन भाषण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झामुमो की ऐतिहासिक भूमिका और झारखंड आंदोलन के बलिदानों को याद किया। उन्होंने कहा:
“झारखंड को अलग राज्य बनाने का सपना हमारे दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में साकार हुआ। आज वह सपनों का झारखंड बनाने की जिम्मेदारी हमारी है।”
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य के गठन के बाद की सरकारें जनभावनाओं से विमुख रहीं – किसानों की आत्महत्याएं, भूख से मौतें, और सांप्रदायिक तनाव इसी का परिणाम थे।
उन्होंने झामुमो के नेतृत्व को जन-आंदोलनों से उपजी शक्ति बताते हुए कहा:
“झारखंड न तो कभी झुका है और न कभी डरा है। हमने देश की सबसे बड़ी पार्टी को भी चुनौती दी और सफल होकर दिखाया।”
आपकी बदौलत बदला राज्य का भविष्य’ – कार्यकर्ताओं से बोले हेमंत.
हेमंत सोरेन ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह जीत केवल किसी एक नेता की नहीं, बल्कि झामुमो के हर जुझारू सिपाही की जीत है। उन्होंने आह्वान किया कि अब चुनौती सिर्फ सत्ता में आना नहीं, बल्कि गांव-गरीब के जीवन में बदलाव लाना है।
“हमारा उद्देश्य है झारखंड के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाना। ये महाधिवेशन पहले से कहीं ज्यादा भव्य है, और यह हमारी जिम्मेदारियों को और बड़ा करता है।”
16 राजनीतिक प्रस्ताव पारित, बाबा साहेब के नाम पर प्रांगण
महाधिवेशन की शुरुआत शिबू सोरेन ने की। पहले दिन राज्य सरकार के मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने 108 पन्नों का सांगठनिक दस्तावेज पेश किया, जबकि स्टीफन मरांडी ने 16 राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए जिन्हें पारित किया गया।
इस आयोजन स्थल को “बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर प्रांगण” नाम दिया गया, और इसका संचालन अध्यक्षीय समिति के सदस्य विनोद पांडेय ने किया।झामुमो के इस महाधिवेशन ने न केवल संगठनात्मक बदलावों की आधारशिला रखी है, बल्कि झारखंड की राजनीति में पार्टी की दीर्घकालीन भूमिका को भी और अधिक स्पष्ट कर दिया है। शिबू सोरेन की विरासत को अब हेमंत सोरेन और नए नेतृत्व ने पूरी तरह से संभाल लिया है – और उनकी रणनीति साफ है: सत्ता में बने रहना नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना।