
चंदन पांडे की रिपोर्ट…………
गिरिडीह : श्रद्धा, समर्पण और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरे माहौल में श्री कबीर ज्ञान मंदिर में सद्गुरु विवेक साहब निर्वाण महोत्सव का दो दिवसीय आयोजन बड़े श्रद्धा भाव से आरंभ हुआ। संत कबीर साहब द्वारा रचित साखीग्रंथ के अखंड पाठ के साथ इस महोत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया।
समाधि पर चादर अर्पण, भजन-कीर्तन से गूंजा मंदिर परिसर।
प्रातः कालीन सत्र के पश्चात श्रद्धालुओं ने सद्गुरु विवेक साहब की पावन समाधि पर चादर अर्पित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। वहीं, शाम के सत्र में नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भक्ति भाव से ओत-प्रोत भावनृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। साथ ही ‘जागो हिंदू जागो’ नाटक का मंचन किया गया, जिसने हिंदू संस्कृति पर आक्रमण और भारत भूमि पर मुगल आक्रांताओं की विभीषिका को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
महोत्सव में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा सद्गुरु मां का दिव्य भजन, जिसे सुनकर भक्तजन भक्ति भाव में डूब गए। इसके बाद महा आरती और भंडारे के साथ प्रथम दिवस का समापन किया गया।
गुरु गोविंद धाम मंदिर की वर्षगांठ, 21 वर्षों का आध्यात्मिक सफर।
इस शुभ अवसर पर बताया गया कि श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिसर में स्थित ‘गुरु गोविंद धाम मंदिर’ का आज 21वां स्थापना दिवस भी है। मंदिर, जहां भगवान नारायण और सद्गुरु कबीर के भव्य विग्रह विराजमान हैं, इस खास मौके पर दिव्य और भव्य साज-सज्जा से जगमगा रहा है।
सद्गुरु मां का संदेश: समाज और राष्ट्र को मजबूत करने का आह्वान
इस दौरान सद्गुरु मां ने कहा कि ऐसे आध्यात्मिक कार्यक्रम समाज में नई चेतना और जागृति लाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारा धर्म, हमारा समाज और हमारा राष्ट्र मजबूत हो, यही संतों का संकल्प है। आज का दिन एक दिव्य दिवस है, और हम सब इसके साक्षी बन रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि सद्गुरु विवेक साहब एक अलौकिक संत थे, और वे भक्तजन सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें उनका सानिध्य प्राप्त हुआ।
भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक जागरण का संगम
संपूर्ण आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति, भक्ति संगीत, धार्मिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक संदेशों का अद्भुत समागम देखने को मिला। आयोजन समिति ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन भी कई भक्ति कार्यक्रम और प्रवचन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भाग लेंगे।
धर्म, श्रद्धा और संस्कृति की इस दिव्य यात्रा में सम्मिलित होने का सौभाग्य जिन श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ, वे स्वयं को भाग्यशाली मान रहे हैं।