
RANCHI: “हेमंत सोरेन सरकार के ‘मंईयां सम्मान योजना’ की पांचवीं किस्त पर नज़र डालिए। वो जो बदलाव की धारा बहती है, वो अब महिलाओं के खातों में 1000 नहीं, पूरे 2500 रुपये लेकर आ रही है। झारखंड के गांव-गांव, शहर-शहर से एक ही आवाज़ गूंज रही है – ‘मंईयां का सम्मान बढ़ा है, हर घर में खुशियां छाई हैं।'”
झारखंड की सड़कों से लेकर सत्ता के गलियारों तक:
57 लाख महिलाओं के खातों में 2500 रुपये पहुंचने को हैं तैयार। तारीख़ लिख लीजिए, 11 दिसंबर! कल्याण विभाग पसीना बहा रहा है ताकि हर बहन के चेहरे पर मुस्कान आए। सोचिए, अब तक चार किस्तों में जो 1000 रुपये भेजे गए थे, उनकी जगह 2500 रुपये मिलेंगे।
चुनावी राजनीति का सियासी खेल:
विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने ‘गोगो दीदी योजना’ में 2100 रुपये का वादा किया। लेकिन हेमंत सोरेन, जो अपने वादों पर अडिग रहते हैं, उन्होंने सीधे 2500 का दांव खेला। और चुनावी नतीजों ने दिखा दिया कि ये दांव सफल रहा। इंडिया गठबंधन ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की, और मंईयां सम्मान योजना इसमें एक बड़ा कारण बनी।
झारखंड के घरों की चूल्हे की बातें:
“अब चूल्हे पर सिर्फ खाना नहीं, सपने भी पकेंगे,” कह रही हैं मरियम बीबी , जो इस योजना से बेहद खुश हैं। ग्रामीण झारखंड में ये योजना एक नई उम्मीद बनकर उभरी है।
रेवड़ी बांटने जैसे आरोप कहीं खरे नहीं उतरते
झारखंड में मंईयां योजना को चालू रखने के लिए राज्य सरकार को संसाधनों की कमी होने के आसार अभी तक नहीं है। वित्त विभाग के अधिकारियों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में झारखंड ने कहीं से कर्ज नहीं लिया है और सरप्लस बजट भी रहा है।
ऐसे में कर्ज लेकर रेवड़ी बांटने जैसे आरोप कहीं खरे नहीं उतरते। सरकार एक बार फिर इस योजना के लिए कोई कर्ज नहीं लेगी। ऐसे में यह तय होता दिख रहा है कि कर्ज लिए बगैर भी मंईयां योजना को जारी रखा जा सकता है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार इस उपलब्धि के पीछे पिछले चार-पांच वर्षों से चले आ रहे वित्तीय सुधारों का व्यापक असर है।
हेमंत सरकार की ये योजना न सिर्फ आर्थिक मदद, बल्कि सामाजिक बदलाव की कहानी भी लिख रही है। ये सिर्फ 2500 रुपये नहीं, ये महिलाओं की आत्मनिर्भरता और सम्मान का प्रतीक है।