
गिरिडीह में धरना – प्रदर्शन
गिरिडीह: “अब और इंतज़ार नहीं होगा! नवडीहा को प्रखंड बनाना ही होगा!” – इसी गूंज के साथ मंगलवार को गिरिडीह झंडा मैदान में नवडीहा प्रखंड निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने जोरदार धरना -प्रदर्शन किया। समिति ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने आवाज बुलंद की है। समिति के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के पूर्वी भाग को अलग कर नवडीहा को प्रखंड का दर्जा देने की मांग की है।
क्या है मामला?
गिरिडीह जिले के जमुआ प्रखंड के पूर्वी भाग को अलग कर नवडीहा को प्रखंड बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। लोगों का कहना है कि नवडीहा प्रखंड बनने की सारी शर्तें पूरी करता है, फिर भी सरकार चुप क्यों है?
क्या है मांग और क्यों जरूरी है नवडीहा प्रखंड?
- जनसंख्या और प्रशासनिक जरूरतें: 2011 की जनगणना के अनुसार जमुआ प्रखंड की कुल आबादी 2,11,843 है, जिसमें 42 पंचायतें शामिल हैं। प्रशासनिक सुविधा के लिए छोटे प्रखंडों का गठन आवश्यक माना जाता है।
- दूरी की समस्या: नवडीहा क्षेत्र के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए 18-20 किमी तक का सफर तय करना पड़ता है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाता।
- बुनियादी सुविधाओं की कमी: प्रस्तावित नवडीहा प्रखंड से जुड़ने वाले कई गांवों में पक्की सड़कें तक नहीं हैं, जिससे लोगों को आवाजाही में दिक्कत होती है।
- विकास की संभावना: नवडीहा में सहायक थाना, उच्च विद्यालय, बैंक, स्वास्थ्य केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाएं पहले से उपलब्ध हैं, जिससे इसे प्रखंड बनाए जाने की पूरी योग्यता है।
📌 पहले भी बने हैं छोटे प्रखंड:
- गढ़वा जिले का रंका प्रखंड केवल 3 पंचायतों का है!
- चतरा जिले का कुंदा प्रखंड 5 पंचायतों को मिलाकर बना!
- फिर नवडीहा के 7 पंचायतों और 77 गांवों को प्रखंड बनाने में इतनी देरी क्यों?
दो दशकों से चल रहा आंदोलन.
यह मांग कोई नई नहीं है। 8 जनवरी 2001 से ही नवडीहा प्रखंड निर्माण को लेकर संघर्ष जारी है। विभिन्न राजनीतिक दल भी इस मांग का समर्थन कर चुके हैं। 2002, 2005 और 2010 में विधानसभा में भी यह मुद्दा उठ चुका है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया गया।
क्या बोले नेता?
धरने का नेतृत्व कर रहे समिति के सचिव ओमप्रकाश महतो ने कहा,
“हम 2001 से लड़ रहे हैं! अब आर-पार की लड़ाई होगी। इस बार सरकार को झुकना ही होगा!”
समिति की नेत्री देवंती भारती ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा,
“जब लावालौंग को 8 पंचायतों में, गिद्धौर को 6 पंचायतों में और पथलगढ़ा को 5 पंचायतों में प्रखंड बना दिया गया, तो फिर नवडीहा के साथ भेदभाव क्यों?”
पुरन किशोर तुरी ने साफ कहा,
“अगर हमारी मांग नहीं मानी गई, तो हम उग्र आंदोलन करेंगे।”
क्या हुआ धरने में?
धरने के बाद एक 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गिरिडीह समाहरणालय पहुंचा और मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को मांग पत्र सौंपा। आंदोलन में सोहन राम, जगदीश बैठा, सरफुद्दीन अंसारी, महेंद्र सिंह, विजय कुमार, कुसुम देवी, लालमुनी तुरी समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।
अब देखना होगा कि सरकार इस मांग को कब तक सुनेगी या फिर नवडीहा के लोगों को अपने अधिकार के लिए और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
– संवाददाता, द न्यूज पोस्ट4यू