
2018 के मानहानि का है मामला
परवेज़ आलम.
रांची/चाईबासा: लोकसभा मे विपक्ष के नेता और काँग्रेस पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर कानूनी संकट में घिरते नजर आ रहे हैं। झारखंड के चाईबासा कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर दर्ज मानहानि मामले में की गई है।
चाईबासा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) की अदालत ने राहुल गांधी को 26 जून 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। इसके खिलाफ राहुल गांधी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर वारंट को रद्द करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 28 मार्च 2018 का है, जब कांग्रेस अधिवेशन के दौरान राहुल गांधी ने अपने भाषण में भाजपा और उस समय के अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद भाजपा नेता प्रताप कुमार ने जुलाई 2018 में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चाईबासा CJM कोर्ट में दायर किया था।
कोर्ट में अनुपस्थिति बनी विवाद का कारण.
मामले की सुनवाई के दौरान चाईबासा कोर्ट ने राहुल गांधी को कई बार समन जारी कर पेश होने का निर्देश दिया। लेकिन वे शारीरिक रूप से कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। कोर्ट ने पहले समन, फिर बेलबिल वारंट भेजा, लेकिन अनुपस्थिति जारी रहने पर आखिरकार 24 मई 2025 को गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया गया।
हाईकोर्ट में पहले से लंबित है एक याचिका.
राहुल गांधी के वकीलों ने इस मामले में पहले ही झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है, जिसमें शारीरिक उपस्थिति से छूट की मांग की गई है। यह याचिका फिलहाल लंबित है। इसी बीच चाईबासा कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए जाने के बाद, अब उन्होंने एक और याचिका दायर कर इस वारंट को कानूनी रूप से निरस्त करने की अपील की है।
ग्रीष्मकालीन अवकाश बना बाधा.
राहुल गांधी की याचिका झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल हो चुकी है, लेकिन फिलहाल अदालत ग्रीष्मकालीन अवकाश पर है। ऐसे में इस पर तत्काल सुनवाई संभव नहीं है। यदि कोई विशेष पीठ गठित न की गई, तो यह मामला अवकाश के बाद ही सूचीबद्ध किया जा सकता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संभावित असर.
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब कांग्रेस राज्य में विपक्ष को सक्रिय करने की रणनीति पर काम कर रही है। राहुल गांधी पर जारी यह वारंट न सिर्फ उनके खिलाफ कानूनी दबाव बढ़ाता है, बल्कि कांग्रेस की राज्य इकाई के लिए भी एक नई चुनौती खड़ी करता है। हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
राहुल गांधी की ओर से हाईकोर्ट में राहत की उम्मीद की जा रही है, लेकिन कोर्ट की कार्यवाही अवकाश के कारण स्थगित है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है, और क्या राहुल गांधी को 26 जून को चाईबासा कोर्ट में पेश होना पड़ेगा या उन्हें राहत मिलती है।