
पटना: बिहार की राजधानी पटना मे 70वीं बीपीएससी परीक्षा दोबारा कराने की मांग को लेकर रविवार को पटना के गांधी मैदान में छात्र संसद हुई। जिसमें जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी शामिल हुए। जिसके बाद मार्च निकालने की सहमति बनी। गांधी मैदान से सीएम आवास तक मार्च निकलना था। जिसमें पीके भी शामिल थे। लेकिन जेपी गोलंबर के पास मार्च को रोक लिया गया है। भीड़ को तितर वितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग भी किया छात्रों की मांग है कि दोबारा परीक्षा आयोजित कराई जाए। बीते कई दिनों से छात्र पटना के गर्दनीबाग में धरना प्रदर्शन कर रहे थे।के गांधी मैदान में बीते 15 दिनों से छात्र इकट्ठा हो रहे हैं। हाथों में तख्तियां, होठों पर नारे, और दिल में उम्मीद लिए। बीपीएससी की 70वीं परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर छात्रों की मांग है – “परीक्षा दोबारा होनी चाहिए।”
नीतीश कुमार का ‘शाम 4 बजे का’ लोकतंत्र.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में हैं। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया, “शाम 4 बजे के बाद बात करते हैं।” आप सोच रहे होंगे, 4 बजे का क्या है? क्या लोकतंत्र में जवाब का कोई टाइम टेबल होता है? या फिर यह सिर्फ वक़्त को टालने की राजनीति है?
गांधी मैदान की छात्र संसद.
वहीं पटना में गांधी मैदान का माहौल बिल्कुल अलग है। यहां छात्र संसद हो रही है। हजारों की संख्या में जुटे अभ्यर्थी अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस संसद का नेतृत्व खुद छात्रों के हाथ में है। इस बार कोई बड़ा नेता मंच पर नहीं, बल्कि मंच के नीचे छात्रों के बीच खड़ा है।
प्रशांत किशोर, जिन्हें आमतौर पर रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है, यहां समर्थन में मौजूद हैं। वह कहते हैं, “यह आंदोलन छात्रों का है, इसका नेतृत्व भी छात्रों को ही करना चाहिए। हम तो बस उनके साथ खड़े हैं।”
बिहार की राजनीति: एक नया मोड़.
इस पूरे प्रकरण पर विपक्ष ने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी, लेकिन चिट्ठी का जवाब अभी बाकी है। दूसरी ओर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी कहते हैं, “अगर परीक्षा में गड़बड़ी का कोई सबूत लाकर दिखा दे, तो 2 मिनट में फैसला होगा।” लेकिन सवाल यह है – क्या गड़बड़ी के सबूत देने की जिम्मेदारी सिर्फ छात्रों की है?
दिल्ली में नीतीश, पटना में छात्र, और सियासत बीच में अटकी.
नीतीश कुमार दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार से मिलने जा सकते हैं। गांधी मैदान में छात्र अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पटना और दिल्ली की इस दूरी में, सवाल यह उठता है कि छात्रों के सपनों की यह लड़ाई कब तक सियासत के गलियारों में भटकेगी?
“गांधी मैदान का कोना-कोना गवाह है कि यहां लड़ाई किसी नौकरी की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की है जिसने छात्रों को सिर्फ प्रदर्शनकारी बना दिया है। सवाल सिर्फ 70वीं बीपीएससी की परीक्षा का नहीं है, सवाल यह है कि क्या वाकई इस देश का युवा खुद को अपनी सरकार के सामने सुना सकता है? या फिर लोकतंत्र में सवाल करने का टाइम टेबल भी ‘शाम 4 बजे के बाद’ तक सीमित है।”