
गिरिडीह: बाबा साहेबकी 69वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एकता मंच के द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। शहर के ऑफिसर्स कॉलोनी स्थित डॉ. अंबेडकर भवन सह पुस्तकालय में मंच के सदस्यों ने माल्यार्पण कर बाबा साहेब को नमन किया।
कार्यक्रम में मंच के जिलाध्यक्ष और प्रख्यात रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शैलेंद्र कुमार चौधरी के साथ कमल दास, गुलाब दास, मधु राव, ललन नागवंशी समेत कई प्रमुख लोग मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलने की प्रतिबद्धता जताई।
लेकिन सवाल उठता है कि क्या बाबा साहेब की विरासत का सही अर्थों में सम्मान हो रहा है? डॉ. चौधरी ने कहा, “मंच का उद्देश्य अनुसूचित जातियों को एकजुट करना है। आज समाज के लोग बंटे हुए हैं, लेकिन मंच के माध्यम से सभी को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रयास किया जाएगा।”
यह कहना आसान है कि हम अंबेडकर के आदर्शों को मानते हैं, लेकिन हकीकत में उनकी राह पर चलना कितना मुश्किल है? सामाजिक एकता के लिए मंच की यह पहल स्वागत योग्य है, लेकिन क्या यह महज़ एक औपचारिकता भर है या वाकई उनके सपनों को सच करने की एक गंभीर कोशिश?
बाबा साहेब का भारत एक ऐसा भारत था, जहाँ समानता और न्याय हर नागरिक का हक़ हो। इस पुण्यतिथि पर माल्यार्पण के साथ यह सोचने की ज़रूरत है कि क्या हमने उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में सही कदम उठाए हैं, या उनके विचार महज़ एक भाषण का हिस्सा बनकर रह गए हैं?
समाज को बदलने के लिए मंच की यह कोशिश कितना असर डाल पाएगी, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन गिरिडीह की इस पहल ने एक सवाल हर मन में ज़रूर छोड़ा है—क्या बाबा साहेब का भारत हमारे प्रयासों का हिस्सा है?