
परवेज़ आलम की रिपोर्ट
गिरिडीह की धरती पर न्याय का ऐसा महाकुंभ लगा, जिसे कहते हैं राष्ट्रीय लोक अदालत। शनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में 63,389 मामलों का समाधान हुआ। सोचिए, यह सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि उन हजारों चेहरों पर लौटी मुस्कान की कहानी है।
कितना हुआ समाधान?
इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन और लंबित मामलों का निपटारा किया गया। इसके साथ ही 20 करोड़ 40 लाख 74 हजार 719 रुपए की राशि संबंधित पक्षों को दी गई, जिसमें राजस्व के रूप में भी राशि शामिल है।
कौन-कौन हुआ शामिल?
कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ दीप प्रज्वलन से। मंच पर थे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडेय, उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी डॉक्टर विमल कुमार, और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश सहाय। इनके साथ अन्य न्यायिक दंडाधिकारी भी शामिल हुए।
क्या बोले न्यायाधीश?
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य छोटे-छोटे विवादों का ऑन द स्पॉट समाधान करना है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां लंबित मामलों का बोझ अक्सर परिवारों पर भारी पड़ता है।
प्रशासन की भूमिका
डीसी नमन प्रियेश लकड़ा और एसपी डॉक्टर विमल कुमार ने भी इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ विवाद सुलझाने का मंच नहीं, बल्कि विश्वास लौटाने की प्रक्रिया है।” जिला और पुलिस प्रशासन समय-समय पर लोगों को इस पहल के प्रति जागरूक करता है।
अधिवक्ता संघ की अपील
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रकाश सहाय ने लोक अदालत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए पक्षकारों से अधिक से अधिक मामले निपटाने की अपील की।
कार्यक्रम का संचालन
कार्यक्रम को विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव सोनम बिश्नोई ने कुशलता से संचालित किया।
तोलोक अदालत से यह साफ हो गया कि समाधान मुश्किल नहीं, बस एक सही मंच की जरूरत है। गिरिडीह ने एक बार फिर यह साबित किया कि न्याय और आपसी सुलह से बड़ी कोई जीत नहीं।