
विदेश जाने पर रोक की मांग
रांची: सहारा इंडिया के खिलाफ निवेशकों की परिपक्वता राशि न लौटाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। झारखंड पुलिस प्रमुख को लिखे गए पत्र में विश्व भारती जनसेना संस्थान ने मांग की है कि सहारा इंडिया के निदेशकों के पासपोर्ट ब्लॉक किए जाएं और उन्हें विदेश जाने से रोका जाए।
निवेशकों के पैसे हड़पने का आरोप।
बता दें कि झारखंड के अलग-अलग थानों में सहारा इंडिया के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिनमें निवेशकों के 40 करोड़ रुपये के भुगतान का मामला शामिल है। इसके अलावा, 40 हजार करोड़ रुपये की परिपक्वता राशि हड़पने की शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं। जनसेना संस्थान ने पत्र लिखकर कहा है कि सहारा इंडिया के खिलाफ जांच तेजी से आगे बढ़ रही है, जिससे उनके अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
विदेश भाग सकते हैं आरोपी अधिकारी।
पत्र में आशंका जताई गई है कि जिस तरह से जांच की गति तेज हो रही है, सहारा इंडिया के अधिकारी देश छोड़ सकते हैं। सुब्रत राय के निधन के बाद भी उनके दोनों पुत्र अब तक भारत नहीं लौटे हैं। इसी तरह, मामले में नामजद अन्य अधिकारी भी विदेश भाग सकते हैं। इसलिए, जब तक जांच पूरी न हो जाए, इन्हें देश छोड़ने से रोका जाए।
15 दिन का अल्टीमेटम, फिर होगी गिरफ्तारी।
डीजीपी की अध्यक्षता में 24 जनवरी को हुई बैठक में सहारा इंडिया के अधिकारियों को झारखंड के निवेशकों को उनकी परिपक्वता राशि लौटाने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद सभी निदेशकों की गिरफ्तारी की चेतावनी दी गई है।
इन अधिकारियों पर केस दर्ज।
प्राथमिकी में सहारा इंडिया के नौ निदेशकों के नाम शामिल हैं:
- स्वप्न राय (वाइस चेयरमैन)
- जयब्रत राय (डिप्टी चेयरमैन)
- सुशांतो राय (एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर)
- सिमांतो राय (एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर)
- ओमप्रकाश श्रीवास्तव (डिप्टी मैनेजिंग वर्कर)
- देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव (सहारा इंडिया को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के चेयरमैन)
- नीरज कुमार पाल (रांची परिक्षेत्र प्रमुख सह निदेशक)
- सुंदर झा (पूर्व जोनल मैनेजर)
- संजीव कुमार (जोनल मैनेजर, रांची)
क्राइम ब्रांच के नोटिस पर नहीं पहुंचे अधिकारी।
क्राइम ब्रांच रांची ने इस मामले में 31 जनवरी को दो अधिकारियों को तलब किया था। इसमें सहारा इंडिया के निदेशक सह रांची टेरिटरी प्रमुख नीरज कुमार पाल और डिप्टी मैनेजर शैलेंद्र शुक्ला को बुलाया गया था। सूत्रों के अनुसार, शैलेंद्र शुक्ला रांची पहुंचे, लेकिन नीरज पाल ने पत्र लिखकर मां की तबीयत खराब होने का हवाला देते हुए अतिरिक्त समय की मांग की।
निवेशकों के साथ हुआ सबसे बड़ा धोखा।
यह मामला सहारा इंडिया के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जा रहा है। वर्ष 2009 में यह घोटाला तब सामने आया जब कंपनी ने निवेशकों को झूठे वादे और भ्रामक दावे करके भारी भरकम रकम जुटाई। निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का सपना दिखाया गया, लेकिन हकीकत में उनकी गाढ़ी कमाई हड़प ली गई।
अब देखना यह होगा कि झारखंड पुलिस की सख्ती के बाद सहारा इंडिया के अधिकारी कानून की गिरफ्त में आते हैं या फिर कोई नया दांव खेलते हैं।