
परवेज़ आलम.
झारखंड की सियासत में शुक्रवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और 44 वर्षों बाद एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में वापसी की।
ताला मरांडी ने अपना इस्तीफा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि “मैं भाजपा का एक समर्पित सदस्य रहा हूं, पार्टी द्वारा दिए गए सभी अवसरों के लिए आभार प्रकट करता हूं। किंतु वर्तमान परिस्थितियों, व्यक्तिगत कारणों और वैचारिक मतभेदों के कारण मैंने यह निर्णय गहन विचार के बाद लिया है। इसमें किसी प्रकार की दुर्भावना नहीं है।”
हेमंत सोरेन की मौजूदगी में हुए शामिल।
भाजपा से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद ताला मरांडी ने भोगनाडीह में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में झामुमो की सदस्यता ग्रहण की। हेमंत सोरेन ने उन्हें पार्टी का पारंपरिक पट्टा पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा, विधायक कल्पना सोरेन, हेमलाल मुर्मू, धनंजय सोरेन और मोहम्मद ताजुद्दीन जैसे कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
राजनीतिक सफर: झामुमो से शुरू, कांग्रेस और भाजपा के रास्तों से फिर लौटे घर.
करीब 63 वर्षीय ताला मरांडी की राजनीतिक यात्रा काफी लंबी रही है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989-90 में एक झामुमो कार्यकर्ता के रूप में की थी। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और 1995 व 2000 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके।
साल 2003 में भाजपा में शामिल होने के बाद 2005 में पहली बार बोरियो विधानसभा सीट से विधायक बने। उन्होंने झामुमो के कद्दावर नेता लोबिन हेम्ब्रम को हराया। 2014 में उन्होंने एक बार फिर लोबिन को हराकर सीट पर कब्जा जमाया और पार्टी ने उन्हें 2016 में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही उन्हें पद से हटा दिया गया।
2019 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आजसू पार्टी का दामन थामा, लेकिन बोरियो से चुनाव हार गए। 2020 के बाद पुनः भाजपा में लौटे और 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें राजमहल सीट से टिकट दिया, लेकिन वे विजय हांसदा से 1.5 लाख से अधिक मतों से हार गए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में बढ़ रही थी नाराजगी.
ताला मरांडी की नाराजगी की झलक 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले ही दिखाई देने लगी थी। पार्टी ने बोरियो सीट से एक बार फिर लोबिन हेम्ब्रम को टिकट दे दिया, जिससे वे बेहद असंतुष्ट थे। वहीं उनके बेटों ने पहले ही झामुमो की सदस्यता ले ली थी, जिससे यह संकेत मिल गया था कि परिवार का झुकाव अब झामुमो की ओर है। भाजपा से मोहभंग और लगातार उपेक्षा के चलते अब ताला मरांडी ने झामुमो की ओर वापसी कर ली है, जिसे वह “घर वापसी” कह रहे हैं।
राजनीति में नई करवट या पुरानी राह की वापसी?
ताला मरांडी की झामुमो में वापसी महज एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीति में एक सांकेतिक बदलाव की शुरुआत भी हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी यह घर वापसी झामुमो के लिए कोई बड़ा सियासी लाभ लेकर आएगी या फिर यह सिर्फ एक व्यक्तिगत यात्रा की पूर्णता भर है।