
गिरिडीह जिले में तीन दिवसीय उसरी महोत्सव का आज शास्त्री नगर स्थित अमित बर्दियार छठ घाट में भव्य उद्घाटन हुआ। पर्यावरण को समर्पित इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उसरी नदी को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के उपायों पर जोर देना है। महोत्सव का शुभारंभ जिला उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा, डीएफओ मनीष तिवारी, और सदर एसडीओ यशवंत श्रीकांत बिस्पुटे ने संयुक्त रूप से किया।
जागरूकता का संदेश.
कार्यक्रम का संचालन कर रहे कोर कमेटी के संयोजक राजेश सिन्हा ने जिले के बुद्धिजीवियों और पर्यावरण प्रेमियों के विचार साझा करते हुए कहा कि गिरिडीह की जनता को ऐसे मुद्दों पर आगे आकर पहल करनी होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही फैक्ट्री क्षेत्रों में भी सुधार की दिशा में कार्य शुरू किया जाएगा।
मुख्य अतिथि नमन प्रियेश लकड़ा ने नदियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “जल ही जीवन है और वायु ही प्राणदायिनी। नदियों को बचाने में समाज की सहभागिता बेहद जरूरी है।” उन्होंने उसरी बचाव अभियान को निस्वार्थ भाव से प्रकृति संरक्षण में जुटा हुआ बताते हुए इसे सरकार और प्रशासन का पूरा समर्थन देने की बात कही।
वन प्रमंडल पदाधिकारी मनीष तिवारी ने जल, जंगल, और जमीन को बचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए बताया कि उसरी नदी के किनारे हजारों पेड़ लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “उसरी बचाव अभियान की टीम शानदार काम कर रही है और भविष्य में और बेहतर करेगी।”
खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन.
महोत्सव में जागरूकता बढ़ाने के लिए नदी में खो-खो और कबड्डी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। खेलों का उद्घाटन उपायुक्त ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया। खेल आयोजन नुरुल हुदा के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत भावपूर्ण नृत्य प्रदर्शन से हुई, जिसमें बच्चियों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। इस भव्य आयोजन में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे और स्कूल के विद्यार्थी उपस्थित थे।
उसरी बचाओ का संदेश.
कोर कमेटी के विनय कुमार सिंह ने कहा, “यह महोत्सव हमें प्रेरणा देता है कि हम सब मिलकर अपनी नदियों को बचाने के लिए आगे आएं।” महोत्सव के दौरान गिरिडीह के पर्यावरण प्रेमियों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार साझा कर उपस्थित लोगों को जागरूक किया।
उसरी महोत्सव ने गिरिडीह में पर्यावरण संरक्षण और नदियों के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। इस तरह के आयोजन न केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को रेखांकित करते हैं, बल्कि समाज को एकजुट होकर कार्य करने की प्रेरणा भी देते हैं।