
24 वां अखिल भारतीय बहुभाषी नाटक एवं लोकनृत्य,शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता
गिरिडीह : कला संगम के तत्वावधान में स्व. जे पी कुशवाहा 24 वां अखिल भारतीय बहुभाषी नाटक एवं स्व. उमा रानी ताह स्मृति लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता के चौथे दिन नाटक मंचन, शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य की शुरुआत देशभर से आए कला संगम के सभी कलाकारों द्वारा नगर भ्रमण हेतु निकाली गई रंग यात्रा कर की गई ।
सचिव सतीश कुंदन ने कहा कि कला हमेशा सवाल खड़े करती है और उसके जवाब के लिए कला हमारे सामने आती है। उन्होंने कला संगम को इस आयोजन के लिए एवं देशभर के कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन के लिए बहुत शुभकामनाएं दीं।
संरक्षक राजेंद्र बगड़िया ने कला संगम की स्थापना के बारे में बताया। कार्यकारी अध्यक्ष पंकज ताह ने कहा कि गिरिडीह में कला भवन बनना चाहिए। उसके लिए उनके स्तर पर प्रयास किए गए हैं। संरक्षक सतविंदर सिंह सलूजा ने कहा कि मोबाइल से बच्चे गलत रास्ते पर चलने लगे हैं। उन्हें कला से जोड़ने से अच्छे संस्कार दिए जा सकते हैं। स्मारिका के प्रधान संपादक ने कहा कि आने वाला समय आर्टिफीशियल इंटलीजेंस का है। इससे कला तो निखरेगी लेकिन रंगमंच प्रभावित होगा। इनके अलावा संरक्षक अजय सिन्हा मंटू, संयोजक चुन्नूकांत, मुख्य सलाहकार विशाल आनंद, संपादक सुनील मंथन शर्मा ने भी समारोह को संबोधित किया। मंच संचालन सचिव सतीश कुंदन ने किया।
नाटकों ने झकझोरा तो शास्त्रीय व लोक नृत्य ने मनमोहा
नाटकों की प्रस्तुति ने कभी मन को झकझोरा तो कभी मन को आनंदित किया। कलाकृति कला केंद्र नाटक पेश कर समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया।
बीच-बीच में शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। कई समूह लोक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों खूब मनोरंजन किया।