
स्पेशल कोरेस्पोंडेंट.
रांची/गोटेनबर्ग — झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने स्वीडन दौरे के दौरान गोटेनबर्ग शहर में स्थित वोल्वो ट्रक निर्माण संयंत्र का दौरा किया। उनके साथ राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य झारखंड में औद्योगिक विकास के नए रास्ते तलाशना और राज्य में ट्रक निर्माण इकाई स्थापित करने की संभावनाओं पर बातचीत करना था।
मुख्यमंत्री ने वोल्वो कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के साथ गहन बातचीत की। उन्होंने बताया कि झारखंड में खनन और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भारी संख्या में ट्रकों और डंपरों की जरूरत है। इस जरूरत को देखते हुए मुख्यमंत्री ने वोल्वो को झारखंड में एक ट्रक निर्माण संयंत्र लगाने का प्रस्ताव दिया। वोल्वो के अधिकारियों ने भी इस विचार में रुचि दिखाई और झारखंड की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ट्रक मॉडल विकसित करने की इच्छा जताई।
वोल्वो की अत्याधुनिक तकनीकों का अनुभव.
मुख्यमंत्री और उनके दल ने वोल्वो के ‘ट्रक एक्सपीरियंस सेंटर’ का भी दौरा किया। यहां उन्होंने कंपनी की नई-नई तकनीकों को करीब से देखा। इनमें मिरर-लेस कैमरा वाली ट्रक कैब, ट्रिपल पॉइंट सस्पेंशन सिस्टम और 440 किलोवाट मोटर से चलने वाले इलेक्ट्रिक ट्रक शामिल थे। मुख्यमंत्री ने वोल्वो की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में किए गए नवाचारों की तारीफ की। उन्होंने यह भी जाना कि ये इलेक्ट्रिक ट्रक ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर किस तरह बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
झारखंड में फैक्ट्री बनने से रोजगार और विकास के नए अवसर.
सूत्रों के मुताबिक, अगर बातचीत सफल रहती है, तो वोल्वो निकट भविष्य में झारखंड में ट्रक निर्माण संयंत्र लगा सकती है। इससे न केवल राज्य के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
स्वीडन में निवेशक संवाद कार्यक्रम में भी झारखंड की मजबूत मौजूदगी.
अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय दूतावास और झारखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से गोटेनबर्ग में आयोजित निवेशक संवाद कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में स्वीडन की बड़ी कंपनियों के अधिकारी, निवेशक और भारतीय समुदाय के सदस्य मौजूद थे।
कार्यक्रम में भारत के कार्यवाहक राजदूत राकेश तिवारी ने भारत और स्वीडन के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों और झारखंड में मौजूद निवेश अवसरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी स्वीडिश कंपनियों को झारखंड में निवेश करने का खुला निमंत्रण दिया।
चार प्रमुख क्षेत्रों में निवेश का विशेष निमंत्रण.
मुख्यमंत्री ने खासतौर पर चार क्षेत्रों में निवेश के लिए स्वीडन की कंपनियों को आमंत्रित किया —
- खनिज अन्वेषण,
- खाद्य प्रसंस्करण,
- हरित (सस्टेनेबल) ऊर्जा,
- इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड में खनन उपकरणों के निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी अपार संभावनाएं हैं। ड्रिलिंग रिग्स, बुलडोजर, हॉल ट्रक, मोटर ग्रेडर और एक्सकेवेटर जैसे भारी मशीनों के निर्माण में निवेश के बेहतरीन मौके हैं। इसके साथ ही, खनिज शोधन संयंत्र और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट जैसे बेल्ट कन्वेयर और मोटर स्क्रैपर के निर्माण में भी बड़े अवसर हैं।
खनिज संपदा से समृद्ध झारखंड: निवेशकों के लिए स्वर्णिम अवसर.
झारखंड देश के कुल खनिज भंडार का लगभग 40% हिस्सा रखता है। कोयला, लोहा, तांबा, बॉक्साइट, चूना पत्थर, मैंगनीज जैसे कई कीमती खनिज यहां बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। झारखंड को देश में कोकिंग कोल का एकमात्र उत्पादक राज्य होने का गौरव प्राप्त है। इसके अलावा, यह कोयला उत्पादन में दूसरा, लौह अयस्क में दूसरा, तांबा अयस्क में तीसरा और बॉक्साइट भंडार में सातवां स्थान रखता है।
इन प्राकृतिक संपदाओं के चलते झारखंड निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक राज्य बन गया है। राज्य सरकार खनिज ब्लॉकों की नीलामी और खनिज अन्वेषण परियोजनाओं के जरिए निजी निवेश को प्रोत्साहित कर रही है।
झारखंड सरकार का सतत और समावेशी विकास पर जोर.
कार्यक्रम में झारखंड सरकार के प्रतिनिधियों ने राज्य की निवेश के अनुकूल नीतियों, उद्योगों के लिए बेहतर अवसंरचना, और सतत व समावेशी विकास के प्रयासों पर भी विस्तार से प्रस्तुति दी। स्वीडन की हरित तकनीकों में विशेषज्ञता और झारखंड के हरित औद्योगीकरण के लक्ष्य के बीच सहयोग की बड़ी संभावनाएं दिखाई दीं।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरकार से व्यवसाय (G2B) और सरकार से सरकार (G2G) के स्तर पर संवाद को मजबूत करना और भारत-स्वीडन के आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले जाना था।