
GIRIDIH: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 27 मई 2025 को राज्यभर में सरना धर्म कोड की मान्यता की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। गिरिडीह जिले में यह प्रदर्शन टावर चौक के निकट आयोजित किया गया, जिसमें राज्य सरकार के मंत्री सुदिव्य कुमार सहित दर्जनों पार्टी नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष शहनवाज अंसारी ने की, जबकि संचालन अजीत कुमार पप्पु और कोलेश्वर सोरेन ने किया।
मंत्री सुदिव्य कुमार ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने 1972 में झारखंड को अलग राज्य बनाने की बात कही थी और वह सपना 15 नवंबर 2000 को साकार हुआ, उसी तरह अब उन्होंने देश के 12 करोड़ आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मान्यता की बात कही है, और यह भी पूरा होकर रहेगा।
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को एक विशेष सत्र में सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड विधेयक पारित किया था और इसे राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा गया था। हालांकि, लगभग पांच वर्षों के बाद भी केंद्र सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है, जिससे आदिवासी समुदाय में गहरा असंतोष है।
सारना धर्म, जिसे “पवित्र वन का धर्म” भी कहा जाता है, आदिवासी समुदायों द्वारा प्रकृति पूजा पर आधारित एक धार्मिक विश्वास है, जो झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और छत्तीसगढ़ में प्रचलित है। इस धर्म के अनुयायी जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं और इसे अपनी पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
कार्यक्रम में केदार हाजरा, प्रणव वर्मा, दिलीप रजक, दिलीप मंडल, बबली मरांडी, प्रमिला मेहरा, ज्योति सोरेन, नुनुराम किस्कु, कोलेश्वर सोरेन, प्रधान मुर्मू, हरिलाल मरांडी, बिरजु मरांडी, राकेश सिंह रॉकी, अभय सिंह, योगेन्द्र सिंह, राकेश सिंह टुन्ना, शिवम आजाद, सुमित कुमार, अशोक राम, मेहताब मिर्जा, कृष्ण मुरारी, अनिल राम, महावीर मुर्मू, प्रदोष कुमार, भरत यादव, नूर अहमद, हसनैन अली, मो. जाकीर, छक्कु साव, विजय सिंह, सन्नी रईन, नरेश यादव, पप्पु रजक, हरि मोहन कंधवे, अमित चंद्रवंशी सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
JMM ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं मिलती, तब तक “नो सेंसस” के नारे के साथ चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।