
भाजपा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की खोज जारी, पर कब खत्म होगा इंतजार?
– परवेज़ आलम
झारखंड में विधानसभा चुनाव को बीते तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन क्या मजाल कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब तक नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर कोई फैसला ले पाई हो! बजट सत्र की गूंज विधानसभा में गूंजने लगी है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल के नेता का नाम अब तक सस्पेंस बना हुआ है। सवाल यह उठता है कि जब सत्ता पक्ष अपनी जिम्मेदारियों में जुटा हुआ है, तो विपक्ष का यह ढुलमुल रवैया किस ओर इशारा करता है?
बिना नेता प्रतिपक्ष के बजट ! यह कैसी राजनीति?
3 मार्च को राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर विधानसभा में बजट पेश करने वाले हैं। लेकिन यह बजट इतिहास में इस बात के लिए भी दर्ज होगा कि जब इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा, तो वहां विपक्ष का कोई मुखिया मौजूद नहीं होगा! यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गंभीर चूक मानी जा रही है। यह महज संयोग नहीं, बल्कि भाजपा के आंतरिक असंतुलन का संकेत भी देता है।
विधानसभा अध्यक्ष की नाराजगी, लेकिन भाजपा बेफिक्र!
झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जता दी है। उनका साफ कहना है कि विपक्ष में नेता का होना अनिवार्य है, ताकि सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चल सके। लेकिन क्या भाजपा इस बात को गंभीरता से ले रही है? या फिर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए झारखंड की राजनीतिक तस्वीर फिलहाल किसी प्राथमिकता में नहीं है?
दिल्ली में अटकी फाइल, इंतजार में रांची!
नेता प्रतिपक्ष का चयन आखिर क्यों नहीं हो पा रहा? सूत्रों की मानें तो भाजपा की केंद्रीय कमेटी अब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है। पार्टी के कई बड़े नेता झारखंड आ चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ कयास और अटकलों का दौर चलता है, नतीजा कुछ नहीं निकलता।
कौन होगा अगला नेता प्रतिपक्ष? संभावित नामों की सूची लंबी!
अगर झारखंड की राजनीति के गलियारों में सुगबुगाहट सुनी जाए, तो भाजपा के भीतर कई नामों की चर्चा है।
- बाबू लाल मराण्डी :पूर्व मुख्य मंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष,विधायी कार्यों का लंबा अनुभव
- सीपी सिंह: रांची विधायक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कद्दावर नेता।
- नीरा यादव: कोडरमा विधायक, महिला चेहरा।
- नवीन जायसवाल: हटिया विधायक, ओबीसी समाज से आते हैं और भाजपा की सामाजिक संतुलन नीति के तहत इनका नाम भी चर्चा में है।
लेकिन असल सवाल यह है कि चर्चा कब खत्म होगी और भाजपा अपने नेता के नाम पर अंतिम मुहर कब लगाएगी?
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी खाली, कब मिलेगा नया अध्यक्ष?
झारखंड भाजपा सिर्फ नेता प्रतिपक्ष की ही नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष की भी तलाश में है। रघुवर दास के ओड़ीसा के राज्यपाल से इस्तीफे के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि इन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद कि जिम्मेवारी मिल सकती है पर आलाकमान कोई निर्णय लेने कि स्थिति मे फिलवक्त नहीं दिखती । पार्टी संगठन के स्तर पर सांगठनिक चुनाव अभी जारी है और जिला स्तर पर इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का नाम सामने आएगा। लेकिन तब तक कार्यकर्ताओं को सिर्फ इंतजार ही करना होगा।
क्या भाजपा की रणनीति झारखंड में कमजोर पड़ रही है?
झारखंड में भाजपा को एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने की जरूरत है, लेकिन पार्टी का यह ढुलमुल रवैया न केवल कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस पैदा कर रहा है, बल्कि इसका राजनीतिक नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है। अगर भाजपा जल्द ही नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं करती, तो यह उसकी साख पर सवाल खड़े करने वाला साबित हो सकता है।
आखिर कब खत्म होगा यह इंतजार?
झारखंड में भाजपा का राजनीतिक अस्थिरता का यह दौर कब खत्म होगा? भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कब नींद से जागेगा? और क्या झारखंड में विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए भाजपा सच में गंभीर है? ये तमाम सवाल भाजपा के लिए जितने महत्वपूर्ण हैं, उतने ही झारखंड की जनता के लिए भी। क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सत्ता के साथ एक मजबूत विपक्ष भी जरूरी होता है।