
गुजरात के कच्छ उत्सव की तरह झारखंड मे होगा ‘नेतरहाट उत्सव’
परवेज़ आलम की खास रपट
झारखंड—एक ऐसी धरती, जो खनिजों की दौलत और अपार संभावनाओं से भरी हुई है। लेकिन क्या यह हिंदुस्तान के पर्यटन नक्शे पर उतना दमकता है, जितना इसे दमकना चाहिए? जवाब है—नहीं! मगर यह बदलने जा रहा है।
झारखंड की ऐतिहासिक धरोहर
साल 2000 में बिहार से अलग होकर एक नया राज्य बना झारखंड। तब इसे हेल्थ रिसॉर्ट के तौर पर जाना जाता था। बंगाल के नामचीन चेहरे गर्मियों में यहीं सुकून पाते थे। यही वह जगह है जहां सर जेसी बोस ने ‘क्रेस्कोग्राफ मशीन’ बनाई और साबित किया कि पेड़ों में भी जीवन होता है। मशहूर गणितज्ञ पीसी महलनोबिस ने यहां भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की। और गोमो रेलवे स्टेशन—जहां से नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को चकमा देकर विदा ली थी—अब ‘सुभाष चंद्र बोस गोमो रेलवे स्टेशन’ कहलाता है।
बदलाव की नई बयार
पिछले चार महीनों में झारखंड सरकार ने कई नए कदम उठाए हैं। जमशेदपुर में स्काईडाइविंग शो हुआ , मेक माय ट्रिप के साथ साझेदारी हो चुकी है, चार ग्लास के शानदार पुल को मंजूरी मिल गई है, माइन टूरिज्म, नाइट सफारी और जंगल सफारी जैसी योजनाएं पाइपलाइन में हैं। इन बदलावों को लेकर पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने अपने विचार साझा किए ।
पर्यटन मंत्री की रणनीति
जब पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने पद संभाला, तो देखा कि पर्यटन का 70% बजट धार्मिक स्थलों पर खर्च हो रहा है, जबकि बाकी पर्यटन क्षेत्र उपेक्षित हैं। उनका मकसद संतुलन बनाना है। साथ ही, एक और बड़ी समस्या यह थी कि झारखंड के ज्यादातर पर्यटन स्थल जंगलों में हैं, लेकिन पर्यटन और वन विभागों के बीच तालमेल की कमी के चलते बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हो रही थीं।
इको-टूरिज्म को बढ़ावा
सरकार ने जेईटीए (Jharkhand Eco-tourism Amenities) को पुनर्जीवित किया, जिसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाया गया था। अब यह झारखंड के पर्यटन स्थलों में इको-टूरिज्म की नई तस्वीर पेश करेगा। साथ ही, संयुक्त वन प्रबंधन समिति (JFMC) में महिलाओं की भागीदारी 33% से बढ़ाकर 50% करने का फैसला लिया गया है।
स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग
पर्यटन और आतिथ्य उद्योग को मजबूत करने के लिए होटल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से संपर्क किया गया है। स्थानीय युवाओं को पेशेवर ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि झारखंड के पर्यटन स्थलों पर बेहतरीन सेवा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, होमस्टे कल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बजट ट्रैवलर्स के लिए भी राज्य को आकर्षक बनाया जा सके।
राजस्व मॉडल और नई योजनाएं
इको-टूरिज्म से होने वाली आय का 60% जेईटीए को मिलेगा और 40% जेएफएमसी को, ताकि स्थानीय समुदायों को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केरल और ओडिशा के सफल मॉडल्स को अपनाया जा रहा है।
नेतरहाट फेस्टिवल: झारखंड की पहचान
गुजरात के कच्छ उत्सव से प्रेरित होकर झारखंड सरकार ‘नेतरहाट उत्सव’ शुरू कर रही है, जो 15 नवंबर से 15 जनवरी तक चलेगा। इसमें 80% स्थानीय खानपान होगा, और झारखंड की संस्कृति को दुनिया के सामने लाने का मौका मिलेगा।
झारखंड का नया सफर
बदलाव की यह लहर केवल झारखंड के लोगों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया के लिए भी एक नया आयाम साबित होगी। पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की इस मुहिम में झारखंड खुद को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।