
उत्पाद विभाग के अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति का आकलन करने में जुटी है एसीबी की टीम.
परवेज़ आलम.
झारखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत एक और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, विनय कुमार चौबे, अब आरोपों के घेरे में हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तार आईएएस अधिकारियों की सूची में चौबे का नाम छठे नंबर पर दर्ज हो गया है। खास बात यह है कि इन छह में से चार अधिकारी रांची के उपायुक्त रह चुके हैं, जिससे राजधानी में प्रशासनिक स्तर पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के पैठ की पुष्टि होती है।
भ्रष्टाचार की जद में रांची के पूर्व डीसी
विनय कुमार चौबे, जो झारखंड राज्य बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के प्रबंध निदेशक और उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं, को 20 मई को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने गिरफ्तार किया। उनके साथ संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को भी जेल भेजा गया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए फर्जीवाड़ा किया, जिससे राज्य को तकरीबन 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जालसाजी की रकम एक अरब तक पहुंचने की आशंका
ACB की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि यह घोटाला महज 38 करोड़ रुपये तक सीमित नहीं है। यह आंकड़ा एक अरब रुपये तक पहुंच सकता है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए कुछ प्लेसमेंट एजेंसियों को लाभ पहुंचाया। यही नहीं, बाद में जिन एजेंसियों को अनुबंध दिया गया, उनमें भी कथित रूप से गड़बड़ी हुई। संबंधित एजेंसियों की बैंक गारंटी तक जब्त की गई, लेकिन कार्रवाई अधूरी रही।
कौन-कौन आईएएस घोटाले में गए जेल
इससे पहले रांची के उपायुक्त रह चुके आईएएस सजल चक्रवर्ती को चारा घोटाले में जेल भेजा गया था। फिर सीबीआई ने दवा घोटाले में डॉ. प्रदीप कुमार को, और ईडी ने जमीन घोटाले में छवि रंजन को हिरासत में लिया। इसके अतिरिक्त पूजा सिंघल और सियाराम प्रसाद सिन्हा भी भ्रष्टाचार मामलों में जेल जा चुके हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं।
चारा घोटाले से जुड़े मामलों में अब तक पांच आईएएस – सजल चक्रवर्ती, महेश प्रसाद, के. अरुणगम, फूल चंद्र सिंह और बेक जुलियस – को दोषी ठहराया जा चुका है।
एसीबी की सक्रियता, सीबीआई-ईडी को भी मिलेगा लाभ
ACB की यह कार्रवाई अब केंद्रीय जांच एजेंसियों – CBI और ED – के लिए भी महत्वपूर्ण सबूत उपलब्ध करा सकती है। ED जल्दी ही इस प्राथमिकी को टेकओवर कर नया ECIR दर्ज कर सकती है। वहीं CBI पहले से ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
नेताओं की मांग: अब हो सीबीआई जांच
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अप्रैल 2022 में ही इस घोटाले की आशंका जाहिर कर राज्य सरकार को पत्र लिखा था। मरांडी का आरोप है कि यह घोटाला छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की तर्ज पर, योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। उन्होंने एसीबी की कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
मरांडी ने सवाल उठाया, “क्या केवल एसीबी की जांच से घोटाले की पूरी सच्चाई सामने आ सकेगी? ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी मछलियों को बचाने के लिए कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।”
आरोपियों की संपत्ति की जांच शुरू
ACB अब गिरफ्तार अधिकारियों की चल-अचल संपत्तियों और बैंक खातों की जांच में जुट गई है। पिछले दस वर्षों के दौरान उनकी आय-व्यय की समीक्षा की जा रही है। उनके पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट और घोषित संपत्तियों की भी पड़ताल की जा रही है।
स्वास्थ्य जांच में सामने आई हाई बीपी की समस्या
गिरफ्तारी के बाद ACB कार्यालय में विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह की स्वास्थ्य जांच की गई। दोनों की स्थिति सामान्य पाई गई, हालांकि चौबे का ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ा हुआ मिला। डॉक्टरों ने उन्हें नमक कम करने की सलाह दी है।
आखिर कब रुकेगा भ्रष्टाचार का सिलसिला?
झारखंड में लगातार सामने आ रहे घोटाले राज्य प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। रांची जैसे प्रमुख जिले से बार-बार अधिकारियों की गिरफ्तारी इस बात की ओर संकेत करती है कि भ्रष्टाचार यहां संस्थागत रूप ले चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या केवल गिरफ्तारी से हालात सुधरेंगे या अब वक्त आ गया है कि राज्य सरकार और जांच एजेंसियां मिलकर बड़े सुधार की ओर कदम बढ़ाएं?