
परवेज़ आलम.
धनबाद/रांची। झारखंड आतंकवाद निरोधक दस्ता [एटीएस] ने राज्य में आतंक के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल की है। वासेपुर से गिरफ्तार की गई महिला संदिग्ध शबनम परवीन न केवल अलकायदा, आईएसआईएस और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ी रही, बल्कि इन संगठनों के झारखंड मॉड्यूल को सक्रिय रूप से संचालित करने में भी अहम भूमिका निभा रही थी।
जांच में यह साफ हुआ है कि शबनम युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा के जरिए बहला-फुसलाकर आतंकी संगठनों में भर्ती करने का काम कर रही थी। खासकर 18 से 25 वर्ष की आयु के मुस्लिम युवाओं को वह धर्म के नाम पर गुमराह करती थी।
चार आधार कार्ड, चार अलग उम्रें – असली पहचान पर सस्पेंस.
एटीएस की छापेमारी के दौरान शबनम के पास से चार अलग-अलग आधार कार्ड बरामद हुए हैं, जिनमें उसकी उम्र अलग-अलग — 20, 25, 28 और 32 वर्ष दर्ज है। इससे स्पष्ट है कि वह पहचान छिपाने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के नेटवर्क से भी जुड़ी हुई थी।
शबनम धनबाद के गोविंदपुर की रहने वाली बताई जा रही है, लेकिन उसके मूल घर के बारे में पुलिस को कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। उसने आयान जावेद नामक युवक से प्रेम विवाह किया था, जो खुद भी एक संदिग्ध आतंकी है। लेकिन शादी के बाद वह जावेद के साथ अमन सोसायटी के घर में न रहकर शमशेर नगर में किराए के मकान में रह रही थी। यहीं से वह साइबर कैफे के माध्यम से युवाओं को प्रभावित करने का कार्य करती थी।
झारखंड में आतंकी नेटवर्क का खुलासा – रांची से लेकर धनबाद तक फैला था जाल
शबनम अकेली नहीं थी। गौरतलब है कि एटीएस की ओर से 26 अप्रैल को धनबाद में छापेमारी कर प्रतिबंध आतंकी संगठन के आतंकी शबनम के साथ गुलफाम हसन, अयान जावेद, और मोहम्मद शहजाद आलम को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
इनके पास से दो पिस्तौल, 12 जिंदा कारतूस, आतंकी संगठनों से जुड़े कई दस्तावेज, किताबें, और मोबाइल-लैपटॉप बरामद किए गए हैं।
हथियारों का लेन देन ये लोग करते ही थे, लेकिन मूल काम युवाओं को आतंकी संगठनों से जोड़ना था। इसी माड्यूल पर रांची से गिरफ्तार हुआ डॉ. इश्तियाक भी काम करता रहा है।
झारखंड एटीएस की टीम बुधवार को धनबाद के वासेपुर से गिरफ्तार आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर से जुड़े महिला समेत चार संदिग्धों को तीन दिन की रिमांड पर ली थी । एटीएस की टीम ने न्यायालय में चारों संदिग्धों को रिमांड पर लेने के लिए आवेदन दिया था। आवेदन पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीन दिन तक रिमांड दी है। अब इनसे एटीएस की टीम तीन दिन तक लगातार पूछताछ करेगी और उनके इरादों के साथ ही उनके संबंधों को की भी जांच की जाएगी। इसके अलावा एटीएस की टीम चारों संदिग्धों के विदेशी संबंधों की भी जांच करेगी।
रिमांड मिलने के बाद टीम बुधवार को चारों संदिग्धों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से एटीएस की टीम अपने साथ ले गई। इसके तुरंत बाद एटीएस ने चारों संदिग्धों से एटीएस ने पूछताछ शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार शाम तक एटीएस उनसे पूछताछ करेगी।
अम्मार यासर की गिरफ्तारी – इंडियन मुजाहिदीन से लेकर हिज्ब-उत-तहरीर तक का कनेक्शन.
झारखंड एटीएस ने अम्मार यासर नामक एक संदिग्ध को भी गिरफ्तार किया है, जो पहले इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा रहा है। वर्ष 2014 में जोधपुर से गिरफ्तार हुआ था । यासर, हाल ही में 2024 में जेल से रिहा होने के बाद फिर से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय हो गया था और हिज्ब-उत-तहरीर के झारखंड मॉड्यूल का हिस्सा बन गया। अयान जावेद से पूछताछ में अम्मार यासर का नाम सामने आया, जिसके आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने इसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है
क्या है ‘हिज्ब-उत-तहरीर‘?
1953 में यरुशलम में गठित यह आतंकी संगठन एक इस्लामिक खिलाफत स्थापित करने के उद्देश्य से काम करता है। भारत में यह संगठन 2010 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसका मकसद लोकतांत्रिक सरकारों को गिराकर कट्टरपंथी इस्लामिक शासन लागू करना है।
एटीएस की सतर्कता से टला खतरा, जांच अब विदेशी लिंक पर.
झारखंड एटीएस की सघन कार्रवाई से एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। एटीएस अब इन सभी संदिग्धों के विदेशी कनेक्शन की पड़ताल में जुटी है। शुरुआती पूछताछ में कुछ अहम जानकारियां सामने आई हैं, लेकिन यह जांच अभी जारी है।
झारखंड जैसे शांत राज्य में आतंक की ये घुसपैठ बेहद चिंताजनक है। युवाओं को धर्म के नाम पर भटकाना, फर्जी दस्तावेज बनाना और विदेशी संगठनों से जुड़ना — ये सारी गतिविधियां अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ एक मॉड्यूल था? या फिर एक बड़ा नेटवर्क धीरे-धीरे सामने आने वाला है?