झारखंड में राशन व्यवस्था पर ओटीपी की नई शर्त: तकनीक के जाल में उलझे भूख से जूझते लोग

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By The News Post4U

चाईबासा/लातेहार – झारखंड के ग्रामीण इलाकों में राशन जैसी बुनियादी जरूरत को हासिल करना अब सिर्फ पात्रता या ज़रूरत की बात नहीं रही। अब इसके लिए आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर और उस पर आने वाला ओटीपी यानी ‘वन टाइम पासवर्ड’ जरूरी हो गया है। यह सुनने में एक तकनीकी प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन ज़मीन पर इसके नतीजे भूख, अपमान और असहायता के रूप में सामने आ रहे हैं।

लातेहार जिले की हमीदा बीबी (39) की कहानी इस व्यवस्था की जमीनी सच्चाई बयां करती है। हमीदा जुलाई 2024 में अपने दो नाबालिग बेटों का नाम राशन कार्ड में जुड़वाने के लिए जन सेवा केंद्र गई थीं। लेकिन वहां ऑपरेटर ने उन्हें बताया कि आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए उनके आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर आया ओटीपी दर्ज करना होगा। हमीदा ने फोन चेक किया, लेकिन कोई संदेश नहीं आया। कुछ देर बाद पता चला – उनका मोबाइल नंबर आधार से लिंक ही नहीं है।

बदलते नियम, बिना सूचना.

यह समस्या अकेली हमीदा की नहीं है। झारखंड की नई पीडीएस (जन वितरण प्रणाली) गाइडलाइन के तहत अब राशन कार्ड में किसी भी तरह का बदलाव — जैसे सदस्य जोड़ना या हटाना, नाम या उम्र में सुधार — बिना ओटीपी के नहीं हो सकता। पहले तक केवल मुखिया का आधार नंबर और राशन कार्ड नंबर काफी था, लेकिन अब ओटीपी के बिना सिस्टम आगे नहीं बढ़ता।

राज्य के अधिकारी दावा करते हैं कि यह कदम सुरक्षा बढ़ाने और फर्जीवाड़ा रोकने के लिए उठाया गया है। लेकिन गांव की महिलाओं और सीमित संसाधनों वाले परिवारों के लिए यह बदलाव एक नई दीवार बनकर खड़ा हो गया है।

मुखिया हैं, पर मोबाइल नहीं तो कुछ नहीं कर सकते”

झारखंड के कई हिस्सों में महिलाएं ही घर की मुखिया हैं — यह व्यवस्था राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की एक प्रगतिशील पहल का हिस्सा है। लेकिन जब आधार से जुड़ा मोबाइल ही नहीं है, तो ये महिलाएं सिस्टम में अदृश्य हो जाती हैं।

सरयू ब्लॉक के चोरहा पंचायत की एक महिला ने बताया कि वह अपनी सास की मृत्यु के बाद घर की मुखिया बनीं, लेकिन महीनों की कोशिश के बाद भी राशन कार्ड में अपना नाम नहीं जुड़वा सकीं। “कई बार प्रखंड और जिला मुख्यालय गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला,” उन्होंने कहा, “अब तो हार मान ली है।”

तकनीक बनी बाधा, ना कि समाधान.

आधार और मोबाइल से जुड़ी यह नई अनिवार्यता ग्रामीण महिलाओं के लिए एक ऐसी तकनीकी बाधा बन गई है, जिसे पार करना कई बार असंभव होता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार झारखंड में 10% घरों में मोबाइल फोन ही नहीं है। और जिनके पास मोबाइल है भी, वहां अक्सर नंबर निष्क्रिय होते हैं, या किसी पुरुष रिश्तेदार के नाम पर होते हैं।

2023 में NSSO के सर्वे के अनुसार, देश में 10 में से 7 गैर-मोबाइल उपयोगकर्ता महिलाएं हैं। ऐसे में ओटीपी आधारित प्रमाणीकरण की बाध्यता महिलाओं को अपने ही अधिकारों से वंचित कर रही है।

बिचौलियों का खेल, बढ़ती जेब पर चोट.

जहां सिस्टम जटिल है, वहां बिचौलियों की आमद तय मानी जाती है। बरहेट जैसे इलाकों में लोगों से आधार या राशन अपडेट कराने के लिए ₹500 से लेकर ₹1,600 तक वसूले गए। यह वे सेवाएं हैं जो सामान्यतः मुफ्त या न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध होनी चाहिए थीं।

कई लोगों को अपने दस्तावेज अपडेट कराने के लिए बार-बार प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता है, जिससे ना सिर्फ परिवहन खर्च बढ़ता है, बल्कि उस दिन की मजदूरी भी चली जाती है।

क्या राज्य अपने हकदारों को पहचानता है?

राशन, सब्सिडी और जन-कल्याण की योजनाएं कोई उपकार नहीं हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ये नागरिकों का कानूनी अधिकार हैं — और इसमें सबसे अहम पात्र हैं महिलाएं और गरीब। लेकिन आधार-ओटीपी प्रमाणीकरण जैसे तकनीकी बदलावों ने इन हकदारों को सिस्टम से दूर धकेलना शुरू कर दिया है।

संवेदनशील समाधान की ज़रूरत.

डिजिटलीकरण अपने आप में समस्या नहीं है — समस्या है उसका एकमुश्त और बिना तैयारी के लागू किया जाना। झारखंड सरकार को चाहिए कि वो:

  • वैकल्पिक प्रक्रिया लागू करे जहां ओटीपी की अनिवार्यता न हो।
  • मोबाइल-आधार लिंकिंग की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक आधार केंद्र स्थापित करे।
  • जन-जागरूकता के माध्यम से पात्र लोगों को बदलावों की जानकारी दे।
  • और सबसे जरूरी, महिलाओं की डिजिटल पहुंच को प्राथमिकता के साथ मजबूत किया जाए।

जब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जाता कि तकनीकी बदलावों का लाभ समाज के सबसे वंचित हिस्से तक पहुंचे — तब तक डिजिटलीकरण भूख, अपमान और असमानता का दूसरा नाम ही बना रहेगा।

*लेखक लिबटेक इंडिया से जुड़े हैं, जो कोलेबरेटिव रिसर्च एंड डिसेमिनेशन (CORD) का एक केंद्र है।

The News Post4u

Perwez Alam is one of the founder of The News Post4U, he brings over 4 decades of Journalism of experience, having worked with Zee News, Sadhna News, News 11, Bureau cheif of Dainik Jargarn, Govt. Accredited Crosspondent of Hindustan daily, Jansatta ect, He loves doing human intrest, political and crime related stories. Contact : 9431395522

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