
तीन चरणों में होगा विरोध प्रदर्शन
रिपोर्ट सुदर्शन
गिरिडीह: स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मियों को वेतन कटौती और भविष्य निधि (EPF) में अनियमितताओं का सामना करना पड़ रहा है। लंबे समय से चली आ रही इस समस्या को लेकर पहले भी कई बार आवाज़ उठाई गई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। अब झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है।
JLKM ने किया प्रशासन को आगाह
JLKM के केंद्रीय सचिव नागेंद्र चंद्रवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरिडीह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन में कटौती और EPF में गड़बड़ी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में 18 जनवरी 2025 को संगठन ने गिरिडीह के उपायुक्त (DC), झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
तीन चरणों में होगा आंदोलन
JLKM ने सरकार को चेतावनी देते हुए तीन चरणों में आंदोलन करने का निर्णय लिया है—
- 24 मार्च 2025 – सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारी काला बिल्ला लगाकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह कदम सरकार और प्रशासन को चेतावनी देने के लिए उठाया जाएगा।
- 2 अप्रैल 2025 – प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ मशाल जुलूस निकाला जाएगा। यह जुलूस गिरिडीह शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए जिला प्रशासन पर दबाव बनाएगा।
- 7 अप्रैल 2025 – यदि सरकार अब भी निष्क्रिय रही, तो जिला मुख्यालय के सामने विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें जिले भर के आउटसोर्सिंग कर्मचारी शामिल होंगे।
JLKM ने दी कड़ी चेतावनी
नागेंद्र चंद्रवंशी ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि कर्मचारियों की वेतन और EPF से जुड़ी समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन को आगाह किया कि अभी तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन यदि मांगे नहीं मानी गईं, तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
कर्मचारियों में गहरी नाराजगी, परिवारों पर असर
आउटसोर्सिंग कर्मियों का कहना है कि वेतन में कटौती और EPF गड़बड़ी के कारण उनके जीवन-यापन में कठिनाई हो रही है। उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है, यहां तक कि बच्चों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है। कई कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करने का संकट खड़ा हो गया है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
JLKM ने सवाल उठाया है कि अब तक सरकार और प्रशासन इस गंभीर समस्या पर चुप क्यों है? आखिर गरीब कर्मचारियों को उनका हक़ क्यों नहीं मिल रहा? सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया न आने के कारण नाराजगी और बढ़ गई है।
आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श जारी
JLKM के कार्यकर्ता और प्रभावित कर्मचारी लगातार बैठकें कर रहे हैं और भविष्य की रणनीति तैयार कर रहे हैं। यदि सरकार और प्रशासन अब भी निष्क्रिय रहे, तो आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बनाई जा रही है।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कदम उठाती है या फिर कर्मचारियों को अपना हक़ पाने के लिए उग्र आंदोलन करना पड़ेगा।