
परवेज़ आलम.
रांची : भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में नागरिक सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। इसी क्रम में गृह मंत्रालय के निर्देश पर बुधवार को देशभर के प्रमुख शहरों में मॉक ड्रिल (सुरक्षा अभ्यास) का आयोजन किया गया। झारखंड की राजधानी रांची,बोकारो, जमशेदपुर, गोड्डा और साहिबगंज जिलों में में भी यह ड्रिल पूरे जोर-शोर से की गई, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों, प्रशासनिक अमले और राहत एजेंसियों को आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तैयार करना था।
मॉक ड्रिल का संचालन: युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी.
रांची के मेकॉन क्षेत्र में मुख्य मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जहां सायरन बजते ही सुरक्षा बलों और प्रशासन की टीमें सक्रिय हो गईं। डोरंडा समेत आसपास के क्षेत्रों में आवाजाही रोक दी गई, सड़कें बंद कर दी गईं और दुकानों को अस्थायी रूप से बंद करा दिया गया। ड्रिल के दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों में एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस बल और एनडीआरएफ की टीमों ने संयुक्त रूप से अपनी तैयारियों का प्रदर्शन किया।
लाउडस्पीकर से दिशा-निर्देश, नागरिकों को जागरूक किया गया.
प्रशासन ने पूरे अभ्यास के दौरान लाउडस्पीकर के माध्यम से मॉक ड्रिल में शामिल लोगों को दिशा-निर्देश देते हुए यह स्पष्ट किया कि यह अभ्यास नागरिक सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने पहले ही नागरिकों से अपील की थी कि सायरन बजने पर घबराएं नहीं, यह सिर्फ एक अभ्यास है।
सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता और समन्वय.
ड्रिल में एनडीआरएफ ने मेकॉन भवन में आग लगने की स्थिति का अभ्यास किया, जहां फायर ब्रिगेड की मदद से आग बुझाने का प्रदर्शन हुआ और कर्मचारियों को सुरक्षित बसों से निकाला गया। एंबुलेंस के जरिए घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने का मॉक अभ्यास किया गया। इस दौरान विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली की परीक्षा ली गई।
बच्चों और आम नागरिकों को भी दिया गया प्रशिक्षण.
सुरक्षा ड्रिल में स्कूलों के बच्चों को भी शामिल किया गया। उन्हें बताया गया कि सायरन बजते ही किस तरह अपनी सुरक्षा करनी है – जैसे बेंच-टेबल के नीचे छिपना, खिड़कियों से दूरी बनाना और घबराए बिना सतर्क रहना। कुछ स्कूलों में बच्चों ने लाइव डेमोंस्ट्रेशन के ज़रिए बचाव तकनीकों का प्रदर्शन किया।
एनसीसी और एनएसएस की भूमिका.
राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवकों ने भी इस अभ्यास में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने आम नागरिकों को राहत स्थल तक पहुंचाने और आपातकालीन स्थिति में आवश्यक सहयोग देने के तरीकों का प्रदर्शन किया।
राज्य के 5 जिलों में चला व्यापक अभ्यास.
रांची के अलावा झारखंड के बोकारो, जमशेदपुर, गोड्डा और साहिबगंज जिलों में भी इस तरह की मॉक ड्रिल आयोजित की गई। कुल छह स्थलों पर एक साथ यह अभ्यास हुआ, जहां सायरन की आवाज के साथ यातायात रोका गया और लोगों को घरों की लाइटें बंद करने, खिड़की-दरवाजे बंद रखने और किसी भी संभावित हमले की स्थिति में सतर्क रहने के निर्देश दिए गए।
ड्रिल का उद्देश्य: दहशत नहीं, तैयारी जरूरी.
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आम जनता को युद्ध या आतंकी हमलों जैसी परिस्थितियों में भयभीत होने से बचाना और उन्हें सटीक तरीके से प्रतिक्रिया करने के लिए प्रशिक्षित करना है। अधिकारियों का कहना है कि सायरन की आवाज से लोगों को ऐसे हालात में शांत और संगठित रहने की आदत डालनी चाहिए।
भविष्य में और क्षेत्रों में भी होगा आयोजन.
प्रशासन ने संकेत दिया है कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल आगे भी समय-समय पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कराई जाएगी, ताकि किसी भी संभावित संकट की स्थिति में अफरा-तफरी से बचा जा सके और जान-माल की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।