राज्य मे जल्द निकाय चुनाव नहीं हुये तो झारखंड को 1500 करोड़ का हो सकता है नुकसान?

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वित्त आयोग की चेतावनी, चुनाव न कराने पर अटक सकती है केंद्र से झारखंड को मिलने वाली सहायता राशि !

विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज वित्त आयोग के दायरे में नहीं ।

परवेज़ आलम.

रांची:  झारखंड सरकार के लिए एक बड़ा अलर्ट आया है। 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि यदि राज्य सरकार दिसंबर 2025 तक नगर निकाय और पंचायत चुनाव नहीं कराती है, तो केंद्र से मिलने वाली बकाया वित्तीय सहायता की राशि लैप्स हो सकती है। यह रकम कोई मामूली राशि नहीं, बल्कि लगभग 1500 करोड़ रुपये है।

रांची के होटल रेडिसन ब्लू में मीडिया कर्मियों से मुखातिब होते हुये  डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि चुनावों की गैर-हाजिरी में केंद्र से राशि जारी नहीं हो सकती, क्योंकि इसका वितरण संविधान और आयोग की गाइडलाइन से बंधा है। यदि तय समय-सीमा के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव करवा दिए जाते हैं, तो झारखंड को पिछला बकाया भी मिल सकता है।

विशेष राज्य का दर्जा नहीं देगा आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर.  

डॉ. पनगढ़िया ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज देना वित्त आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने यह बात ऐसे समय पर कही, जब झारखंड सरकार की ओर से यह मांग की जा रही है कि राज्य को उसकी अनूठी परिस्थितियों और समस्याओं को देखते हुए अतिरिक्त सहायता दी जाए।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अनुदान की जो राशि मांगी जाती है, वह केंद्रीय बजट के जरिए सशर्त मिलती है, और इसके भुगतान में होने वाली देरी पर वित्त आयोग का कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं होता।

राज्य की कमजोर आर्थिक स्थिति पर चिंता, पर सराहना भी.

डॉ. पनगढ़िया ने झारखंड के वित्तीय प्रबंधन की सराहना तो की, लेकिन साथ ही यह भी बताया कि राज्य अभी भी कई सामाजिक-आर्थिक मानकों पर पिछड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि झारखंड की प्रति व्यक्ति आय देश में तीसरे सबसे निचले पायदान पर है, जहां उत्तर प्रदेश पहले और बिहार दूसरे स्थान पर हैं।

जीएसटी लागू होने से राजस्व में हुए नुकसान को झारखंड ने आयोग के समक्ष एक नई मांग के रूप में रखा है। राज्य सरकार ने इस नुकसान की भरपाई के लिए वित्तीय फॉर्मूले में बदलाव की अपील की है, जिसे आयोग ने केवल प्रस्तावके रूप में नोट किया है। कोई भी निर्णय आयोग के निर्धारित फॉर्मूले के आधार पर ही लिया जाएगा।

झारखंड ने रखी 3.03 लाख करोड़ की मांग, राज्य का पक्ष मजबूत.

राज्य सरकार ने वित्त आयोग के सामने 2026 से 2031 तक के लिए 3,03,527.44 करोड़ रुपये की मांग रखी है। यह मांग राज्य के 23 विभागों के सुझावों के आधार पर तैयार की गई है। इसके अलावा, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को 41% से बढ़ाकर 55% करने की भी अपील की गई है।

राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने से झारखंड को गंभीर नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि 2025-30 के बीच राजस्व में लगभग 61,677 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है।

वित्त मंत्री ने पूर्ववर्ती 15वें वित्त आयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि तब झारखंड ने 1.5 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन सिर्फ 12,398 करोड़ रुपये ही मिले थे, जिससे विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ा।

प्राकृतिक संसाधनों वाला राज्य, लेकिन सड़कें नहीं.

राज्य सरकार ने वन क्षेत्रों के आधार पर होने वाले राजस्व वितरण फार्मूले में संशोधन की मांग की है। उन्होंने कहा कि खुले वनों को भी सघन वनों की तरह गणना में लाया जाए। साथ ही झारखंड में 14.19 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए भी अतिरिक्त सहायता मांगी गई है।

राज्य के सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति भी चिंताजनक बताई गई। राष्ट्रीय औसत जहां 500 किमी प्रति 1000 वर्ग किमी है, वहीं झारखंड में यह मात्र 186 किमी है। खनिज संपदा से भरपूर राज्य होने के बावजूद खनिज ढुलाई के लिए पर्याप्त सड़क नेटवर्क नहीं है।

बकाया राशि नहीं मिलने से योजनाएं प्रभावित.

राज्य सरकार ने केंद्र से कुछ प्रमुख मदों में बकाया राशि की ओर भी ध्यान दिलाया:

  • कोयला कंपनियों से: ₹1.36 लाख करोड़
  • जल जीवन मिशन में: ₹5,235 करोड़
  • मनरेगा में: ₹1,300 करोड़

राज्य सरकार का कहना है कि इन बकाया राशि के अभाव में कई विकास योजनाएं ठप पड़ी हैं

भेदभाव नहीं हो‘, स्थानीय निकायों के लिए राशि जारी हो: नगर विकास मंत्री.

नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने आयोग से आग्रह किया कि स्थानीय निकायों की राशि को रोका न जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि 20-25% राशि रोककर शेष राशि जारी की जा सकती है, ताकि स्थानीय विकास कार्य बाधित न हों।

उन्होंने झारखंड की वास्तविक चुनौतियों — जैसे कि प्रदूषण, उग्रवाद, बेरोजगारी और विस्थापन — की ओर भी आयोग का ध्यान खींचा।

31 अक्टूबर तक सौंप दी जाएगी अंतिम रिपोर्ट.

वित्त आयोग की अंतिम रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी। इस बीच आयोग ने झारखंड के पब्लिक सेक्टर उपक्रमों (PSUs) की वर्षों से लंबित ऑडिट रिपोर्टों पर भी चिंता जताई है। डॉ. पनगढ़िया ने इसे वित्तीय पारदर्शिता के लिए गंभीर खतरा बताया और राज्य सरकार को इस पर तत्काल कार्रवाई करने की सलाह दी।

इस दौरे के दौरान वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद और पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने विस्तृत ज्ञापन के जरिए आयोग के समक्ष झारखंड की जरूरतें और अपेक्षाएं रखीं।

वित्त आयोग से अनुदान की मांग.

बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से तीन लाख तीन हजार करोड़ की मांग से संबंधित प्रतिवेदन सौंपी गई है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा एवं आधारभूत संरचना जो राज्य सरकार की प्राथमिकता में है उसको लेकर वित्त आयोग से अनुदान की मांग की गई है.

सुदिव्य कुमार ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार की यह संवैधानिक संस्था केंद्र सरकार के समक्ष सकारात्मक सोच के साथ हमारी मांग को पहुंचाने में मदद करेगा. उत्पादक राज्य होने के कारण झारखंड को होने वाले घाटे को भी वित्त आयोग के समक्ष प्रमुखता से रखा गया है और जो मांगे रखी गई है उसे आप विशेष पैकेज माने या अनुदान की राशि राज्य सरकार ने बड़े ही तर्कपूर्ण ढंग के साथ इसे रखा है. वित्त आयोग ने भी हमें भरोसा दिया है कि उनकी मांगों पर सकारात्मक रूप से विचार होगा.

The News Post4u

Perwez Alam is one of the founder of The News Post4U, he brings over 4 decades of Journalism of experience, having worked with Zee News, Sadhna News, News 11, Bureau cheif of Dainik Jargarn, Govt. Accredited Crosspondent of Hindustan daily, Jansatta ect, He loves doing human intrest, political and crime related stories. Contact : 9431395522

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