परवेज़ आलम
हेमंत सोरेन की “चंपी राजनीति“: सियासत से परे का एक घरेलू दृश्य
आखिर क्या चल रहा है हेमंत सोरेन के घर के आंगन में? यह सवाल सिर्फ तस्वीरों का नहीं, बल्कि झारखंड की सियासत की नब्ज पकड़ने की कोशिश है। तस्वीरें आई हैं, और साथ ही चर्चाएं भी।
तेल की मालिश, सियासत की खिचखिच
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शॉर्ट्स और टी-शर्ट में अपने घर के आंगन में बैठे हैं। चेहरे पर एक सुकून है, लेकिन सियासत के जानकारों की नजर में यह सुकून “तूफान से पहले की शांति” है। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन उनके पीछे खड़ी हैं, सिर पर चंपी कर रही हैं। पास में उनके दो पालतू कुत्ते भी आराम फरमा रहे हैं। हेमंत कुत्तों को सहला रहे हैं, और मोहम्मद रफी के गाने “सर जो तेरा चकराए” की याद दिला रहे हैं।
अब सवाल उठता है—क्या यह सिर्फ एक घरेलू लम्हा है, या इसके पीछे कोई सियासी संकेत छुपा है?
दबी जुबान में चर्चा: क्या हेमंत सोरेन चुनावी नतीजों से पहले बेचैन हैं?
या फिर: क्या यह जनता को दिखाने की कोशिश है कि “हम तो आराम कर रहे हैं, हमें कोई फिक्र नहीं”?
तस्वीरों को देखने वाले सियासी गलियारों में अपनी-अपनी राय बना रहे हैं। कुछ इसे “सुकून के पल” कह रहे हैं, तो कुछ इसे “तनाव छुपाने का तरीका।”
चंपी और राजनीति का रिश्ता
हमारे देश में चंपी सिर्फ तेल की मालिश नहीं है। यह हमारे जीवन का हिस्सा है, तनाव को दूर भगाने का ज़रिया। लेकिन यहां बात एक मुख्यमंत्री की है, जिसकी राजनीति चंपी से हल्की नहीं हो सकती।
हेमंत सोरेन का यह घरेलू अंदाज उनकी छवि का एक और पहलू है। सियासत में जहां हर नेता अपने कंधों पर सत्ता का बोझ उठाए घूमता है, वहीं यह तस्वीरें सवाल पूछती हैं—क्या यह वाकई आराम का पल है, या “चुपके से सोचा गया एक संदेश?”
चर्चाओं का बाजार गर्म
“चंपी” सियासी लहजे में एक नया शब्द बन गया है। झारखंड की राजनीति के जानकार कह रहे हैं—”23 नवंबर के बाद अगर चुनावी नतीजे अनुकूल नहीं आए, तो यह तस्वीरें हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा का एक ‘आरामदायक विराम’ बन जाएंगी।”
तो क्या हेमंत सोरेन का यह सुकून दिखावा है, या एक आत्मविश्वास भरा संदेश? यह सवाल जवाब मांगता है। लेकिन जवाब सिर्फ 23 नवंबर को मिलेगा।
तब तक, चंपी जारी है।