
NEW DELHI : भारत सरकार ने 17,000 से ज्यादा व्हाट्सऐप अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है। सुनने में बड़ा कदम लगता है, लेकिन कहानी इससे कहीं बड़ी और गहरी है। ये अकाउंट्स दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के हैकर्स से जुड़े थे, जो भारतीयों को ठगने का पूरा नेटवर्क चला रहे थे। फर्जी निवेश, ऑनलाइन गेमिंग, डेटिंग ऐप्स और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म – ये ठग हर वो जाल बिछाते थे, जिसमें भारत का आम आदमी आसानी से फंस जाए।
गृह मंत्रालय का इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (14C) और दूरसंचार विभाग (DOT) ने मिलकर ये कार्रवाई की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये ठगी यहीं खत्म हो जाएगी, या ये बस बर्फ की चोटी का एक सिरा है?
साइबर दोस्त की चेतावनी
“साइबर दोस्त” नामक सरकारी पहल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि कंबोडिया, म्यांमार, फिलीपींस और लाओस जैसे देशों में बैठे ये ठग भारतीयों को बड़े मुनाफे का लालच देकर ठगते थे। उनकी रणनीति – निवेश के सपने, खेलों में पैसे कमाने की संभावनाएं, या फिर रिश्तों की तलाश में दिल लगने वाले विज्ञापन। लेकिन क्या सरकार ने इन ठगों की कमर तोड़ दी है, या ये कार्रवाई महज दिखावा है?
कंबोडिया की डरावनी कहानी
एक और पहलू है, जो हमें सोचने पर मजबूर करता है। हाल ही में भारतीय युवाओं को नौकरी के बहाने कंबोडिया भेजा गया। लेकिन वहां पहुंचने पर, वे ठगी के जाल में फंस गए। विरोध करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार ने इन युवाओं को वापस लाने का वादा किया है। लेकिन क्या ये वादा, बाकी वादों की तरह, बस हवा में उड़ा दिया जाएगा?
45% साइबर अपराधों का सच
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 45% साइबर अपराध दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आते हैं। ये आंकड़ा खतरनाक है। मई 2024 में गठित एक समिति इन मामलों की जांच कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार के पास ऐसे ठगों से निपटने की ठोस योजना है, या ये भी उन कदमों में से एक है, जो सिर्फ सुर्खियों के लिए उठाए जाते हैं?