
परवेज़ आलम की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट …………..
झारखंड की राजनीति में वर्ष 2024 ने एक नया अध्याय लिखा। बदलाव की ऐसी बयार चली जिसने सत्ता समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा, लेकिन असली कहानी विधानसभा चुनाव के दौरान लिखी गई। इंडिया गठबंधन की ओर से कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला और इतिहास रच दिया।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और कल्पना का उदय.
झारखंड की राजनीति में एक ऐसा मोड़ आया जब 31 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। उस रात की कहानी कल्पना सोरेन बार-बार बताती हैं—”सोचा था, बस पूछताछ होगी, लेकिन सुबह की पहली किरण के साथ पूरा परिदृश्य बदल चुका था।”
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद जेएमएम के सामने सवाल खड़ा था—कौन नेतृत्व करेगा? गठबंधन के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कल्पना सोरेन से कहा, “भाभी, भैया नहीं हैं, अब आपको ही जिम्मेदारी उठानी होगी।”
राजनीति में कदम रखने की दास्तान।
कल्पना सोरेन, जो अब तक सामाजिक कार्यों और परिवार तक सीमित थीं, अचानक राजनीति के केंद्र में आ गईं। 4 मार्च 2024 को गिरिडीह में जेएमएम के स्थापना दिवस पर उन्होंने राजनीति में प्रवेश का ऐलान किया। पहली ही रैली में उनकी आंखों से आंसू छलके, लेकिन हाथ में झंडा थामे उन्होंने पार्टी को भरोसा दिलाया—“हम लड़ेगें और जीतेंगे।”
लोकसभा चुनाव: कल्पना का असर।
हेमंत सोरेन की गैरमौजूदगी में कल्पना सोरेन ने इंडिया गठबंधन की कमान संभाली। धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में उनकी रैली ने यह साफ कर दिया कि झारखंड की जनता उनके साथ है। नतीजों में इंडिया गठबंधन ने 14 में से 4 सीटें जीतीं। ये प्रदर्शन 2019 के मुकाबले दोगुना था और इसका श्रेय कल्पना की मेहनत को गया।
गांडेय उपचुनाव: पहली जीत और बढ़ता प्रभाव।
लोकसभा चुनाव के साथ हुए गांडेय विधानसभा उपचुनाव में कल्पना सोरेन ने बाजी मारी। 4 जून 2024 को आए नतीजों में उन्होंने बीजेपी के दिलीप वर्मा को 27,149 वोटों से हराया। ये जीत न सिर्फ एक चुनावी आंकड़ा थी, बल्कि झारखंड में उनकी बढ़ती सियासी ताकत का सबूत भी थी।
विधानसभा चुनाव: मैदान पर कल्पना और हेमंत की जोड़ी।
झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की रिहाई के बावजूद कल्पना सोरेन गठबंधन की स्टार प्रचारक बनीं रहीं। उन्होंने 100 से अधिक सभाएं कीं और हर सभा में जनता से सीधा संवाद किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और भावुकता ने जनता को अपने साथ जोड़ लिया।
झारखंड की “नई शक्ति”
कल्पना सोरेन के सियासी सफर की शुरुआत भले ही अप्रत्याशित परिस्थितियों में हुई हो, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि झारखंड में बदलाव की बागडोर अब उनके हाथ में है।
2006 से 2024 तक: कल्पना का सफर।
ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली कल्पना, झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बहू बनकर आईं थीं। एक आम महिला से एक सशक्त नेता तक का उनका सफर, झारखंड की जनता के लिए प्रेरणा है।
तो सवाल यह है कि क्या झारखंड में यह नई नारी शक्ति राज्य को एक नई दिशा दे पाएगी? जवाब वक्त देगा, लेकिन एक बात तय है—कल्पना सोरेन की कहानी झारखंड की राजनीति का वह मोड़ है, जो शायद हमेशा याद रखा जाएगा।