GIRIDIH: झारखंड और बिहार की संयुक्त उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग की टीम ने गिरिडीह के थानसिंहडीह ओपी क्षेत्र के कारीपहाड़ी के जंगलों में अवैध शराब के खिलाफ ड्रोन की मदद से बड़े पैमाने पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में 8,600 किलो जावा महुआ और 350 लीटर अवैध शराब जब्त की गई।
ड्रोन की आंखों से छिप न सका जंगल का ‘मदहोश’ कारोबार.
कारीपहाड़ी के घने जंगलों में ड्रोन स्कैनिंग के जरिए अवैध शराब के ठिकानों को चिन्हित किया गया। झारखंड और बिहार के उत्पाद विभाग ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से इस छापेमारी को अंजाम दिया। गिरिडीह के उत्पाद विभाग के अवर निरीक्षक रवि रंजन के नेतृत्व में हुई इस कार्रवाई में शराब बनाने के उपकरण, जावा महुआ, और भट्टियां नष्ट कर दी गईं।
संयुक्त कार्रवाई का नेतृत्व: ‘मिशन नशामुक्ति’ की नई पहल.
इस छापेमारी अभियान में बिहार के नवादा जिले के उत्पाद विभाग के निरीक्षक राजेश कुमार पटेल, थानसिंहडीह थाना प्रभारी नीरज कुमार, और लोकायनयनपुर थाना प्रभारी अमित कुमार चौधरी के साथ ड्रोन टीम और सशस्त्र बलों का सहयोग था।
“ड्रोन ने घने जंगल की हर परत को खंगाल डाला। जंगल में बसी अवैध शराब की भट्टियां अब सिर्फ राख हैं,” अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया।
‘अवैध कारोबारी फरार’: जंगल की कहानियों में छुपे साजिश के सिरों की तलाश
जब्त किए गए सामानों के साथ अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ फरार अभियोग दर्ज किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस नेटवर्क के पीछे कौन-कौन से ‘असली चेहरे’ हैं?
ड्रोन से लेकर दस्ते तक: तकनीक और ताकत का मेल.
यह छापेमारी दिखाती है कि मद्य निषेध के अभियान में तकनीक का इस्तेमाल किस तरह के परिणाम दे सकता है। ड्रोन के जरिए न केवल जंगल की छानबीन की गई, बल्कि पुलिस और उत्पाद विभाग ने सटीक लोकेशन पर कार्रवाई कर एक बड़ा जखीरा पकड़ा।
क्या यह ‘मदहोश कारोबार’ खत्म होगा?.
झारखंड और बिहार की इस संयुक्त कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि अवैध शराब माफिया जंगलों में जितना भी गहरा छिपे, कानून की पकड़ से बच नहीं सकते। लेकिन क्या यह कार्रवाई नशा और अवैध कारोबार के खिलाफ एक स्थायी समाधान की शुरुआत है, या फिर यह महज एक अस्थायी सफलता बनकर रह जाएगी?