
कोलकाता: 2006 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में पहचानी गई 521 से ज्यादा वक्फ संपत्तियों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। इनमें से कई संपत्तियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), दिल्ली सरकार (DDA), रेलवे और सेना (दिल्ली कैंटोनमेंट) के कब्जे में हैं। खुद सरकार ने स्वीकार किया है कि इन संपत्तियों पर अतिक्रमण हुआ है।
यह मामला तब और गहराया जब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा कि देशभर में 59,000 से ज्यादा वक्फ संपत्तियां अतिक्रमित हैं। निसार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल में अकेले 11,000 से अधिक संपत्तियों पर अतिक्रमण हुआ है।
वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 का विरोध
कोलकाता में लॉयर्स फॉर वक्फ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 का कड़ा विरोध किया गया। अधिवक्ता शेख खुर्शीद आलम ने कहा, “वक्फ बोर्ड अपनी अतिक्रमित जमीनें वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन अफवाह फैलाई जा रही है कि वक्फ बोर्ड जहां भी हाथ रखता है, वह जमीन उसकी हो जाती है। भारत संविधान द्वारा संचालित देश है, और वक्फ संपत्तियां बिना उचित प्रक्रिया के घोषित नहीं की जा सकतीं।”
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड ‘भूमि हड़पने वाले’ नहीं हैं, बल्कि वे खुद अतिक्रमण का शिकार हैं।
सरकार की कथनी और करनी में फर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आलम ने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान गैरजिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को संविधान की जानकारी होनी चाहिए। मोदी के बयान के बाद सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया में इस्लामोफोबिया बढ़ा है।”
आलम ने सवाल उठाया कि सरकार, जो वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रही है, बताए कि प्रस्तावित संशोधन में कौन-सा प्रावधान भ्रष्टाचार रोकने पर केंद्रित है।
“वक्फ हमेशा वक्फ रहेगा”
आलम ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक हालिया फैसले का हवाला दिया। अदालत ने कहा, “अगर कोई वक्फ संपत्ति लंबे समय से इस्तेमाल में नहीं है, तो भी वह वक्फ ही रहेगी। वक्फ एक बार घोषित हो गया, तो वह हमेशा वक्फ रहेगा।”
संशोधन से खत्म होगी वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता
वकील अमार जाकी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024 वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म कर देगा। उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड हमेशा से एक स्वतंत्र संस्था रही है। यह विधेयक इसे सरकार के नियंत्रण में ले आएगा, जो संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 30 का उल्लंघन करता है।”
विधेयक का असली मकसद
वकील अताउल मुस्तफा ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर पूंजीपतियों के कब्जे को वैध बनाने और वक्फ बोर्ड को कानूनी लड़ाई लड़ने से रोकने की साजिश है। उन्होंने कहा, “2006 में सच्चर कमेटी ने 9.4 लाख एकड़ वक्फ जमीन की पहचान की थी, जिसकी कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। सरकार इन्हें हड़पना चाहती है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित सभी वकीलों ने यह स्पष्ट किया कि यह विधेयक केवल मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि संविधान के खिलाफ है। वकीलों ने इस बिल को वापस लेने की मांग की।
लेखक शाहनवाज़ अख्तर
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