
गिरिडीह: जिला समाज कल्याण विभाग की पहल पर “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” अभियान के तहत गिरिडीह जिले के सभी उच्च विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्राओं को उनके अधिकारों और बाल विवाह के खतरों के प्रति जागरूक करना था।
कार्यक्रम में कौन रहे उपस्थित?
इस विशेष अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रमों में बाल संरक्षण पदाधिकारी जीतु कुमार और जिला बाल संरक्षण इकाई की काउंसलर नीलम कुमारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इनके साथ अन्य अधिकारी भी इस पहल को सफल बनाने में योगदान देने पहुंचे।
क्या रहा कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण?
कार्यक्रम में गिरिडीह जिले के सभी उच्च विद्यालयों की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बाल विवाह रोकने और लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी बच्चों को शपथ दिलाई गई।
इस दौरान जिला समाज कल्याण विभाग की टीम ने कई विद्यालयों का दौरा किया, जिनमें प्रमुख रूप से:
1. उच्च विद्यालय कुम्हारलालो, पीरटांड़
2. प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय, डुमरी
3. पारसनाथ दिगंबर जैन उच्च विद्यालय, डुमरी
इन स्कूलों में विभागीय अधिकारियों ने निरीक्षण कर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के उद्देश्यों और महत्व के बारे में जानकारी दी।
बाल संरक्षण पदाधिकारी की खास बातें
बाल संरक्षण पदाधिकारी श्री जीतु कुमार ने अभियान के मकसद पर जोर देते हुए कहा, “यह अभियान पूरे भारत में लड़कियों को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए चलाया जा रहा है।” उन्होंने कम उम्र में लड़कियों की शादी से होने वाले शारीरिक और मानसिक खतरों पर विस्तार से चर्चा की।
बच्चों को बताए गए उनके अधिकार
कार्यक्रम में जिला बाल संरक्षण इकाई की काउंसलर नीलम कुमारी ने बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने चार मुख्य अधिकारों पर प्रकाश डाला:
1. जीने का अधिकार
2. विकास का अधिकार
3. सुरक्षा का अधिकार
4. सहभागिता का अधिकार
नीलम कुमारी ने कहा, “इन अधिकारों को समझना और इनका उपयोग करना हर बच्चे का हक है।”
जागरूकता और सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत कदम.
गिरिडीह में आयोजित इस अभियान ने लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति न केवल जागरूक किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी किया। बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ इस मुहिम को छात्राओं ने भी सराहा।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा को प्राथमिकता देना ही समाज की असली तरक्की है।