
नई दिल्ली: शनिवार की सुबह शांति वन में जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी जाएगी, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक युग का अंत होगा। वह युग, जिसने भारत को आर्थिक उदारीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ाया। सुबह 8 बजे उनके पार्थिव शरीर को उनके सरकारी आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाया जाएगा। यहाँ पार्टी के नेता और उनके चाहने वाले उन्हें अंतिम विदाई देंगे। यह अंतिम यात्रा महज एक रस्म नहीं है। यह वह पल है जब कांग्रेस पार्टी के इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है।
गांधी परिवार से परे मनमोहन सिंह की स्मृति पर जोर.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर यमुना किनारे एक स्थायी स्मारक के लिए जगह मांगी। यह स्मारक उस शख्स के लिए होगा जिसने भारत की आवाज को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी।
प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल की रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत, खरगे की चिट्ठी और सोनिया-राहुल गांधी का हर पल मनमोहन सिंह के परिवार के साथ खड़ा रहना—ये सब एक बात को स्पष्ट करते हैं: कांग्रेस इस बार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती।
शांति वन: जहां इतिहास खुद को दोहराता है.
करना अपने आप में प्रतीकात्मक है। यह वही जगह है, जहां देश के अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों को अंतिम विदाई दी गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस स्मारक की राजनीति मनमोहन सिंह की यादों के साथ न्याय कर पाएगी?
एक पत्र, एक स्मृति, और ओबामा का कथन.
खरगे के पत्र में एक खास बात थी: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का वह बयान, जिसमें उन्होंने कहा था, “जब भारत के प्रधानमंत्री बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है।” यह वाक्य न सिर्फ मनमोहन सिंह की गरिमा को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि एक साधारण परिवार से आए व्यक्ति ने वैश्विक स्तर पर भारत का कद कैसे बढ़ाया।
गांधी परिवार की छाया से बाहर निकलने की कोशिश?
नरसिम्हा राव के समय हुई चूक को लेकर आलोचनाएं कांग्रेस को अब भी घेरती हैं। ऐसे में मनमोहन सिंह के मामले में पार्टी इस बार सतर्क दिख रही है। उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय लाना और सम्मानपूर्वक अंतिम यात्रा निकालना, इन सबके पीछे एक राजनीतिक संदेश भी है। शनिवार को जब शांति वन में मनमोहन सिंह को अंतिम विदाई दी जाएगी, तब यह सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं होगी। यह वह पल होगा जब कांग्रेस पार्टी अपनी संवेदनशीलता और राजनीतिक सोच का प्रदर्शन करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह स्मारक और यह यात्रा इतिहास में कैसे दर्ज होती है।