कैसे पकड़ी गई जीनत?
जीनत के पकड़े जाने का ऑपरेशन किसी रोमांचक फिल्म से कम नहीं था। मुख्य वन संरक्षक देबल रॉय ने बताया कि शनिवार रात तक जीनत गोपालपुर के जंगल में थी। उसे धीरे-धीरे जालों से घेरा गया। रविवार तड़के 1:20 बजे उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया, लेकिन वह पूरी तरह बेहोश नहीं हुई। अंततः रविवार शाम 4:09 बजे एक और डार्ट शॉट ने अपना काम कर दिखाया। रॉय ने कहा, “जीनत काफी उत्तेजित थी, इसलिए उसे बेहोश करने में बार-बार परेशानी हो रही थी। फिलहाल उसे आराम दिया गया है, और तीन पशु चिकित्सक उसकी निगरानी कर रहे हैं।”
‘मेहमान’ से जंगल की ‘राहगीर’
ज़ीनत को कुछ ही समय पहले महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) सेओडिशा के सिमिलिपाल लाया गया था। लेकिन ऐसा लगता है कि सिमिलिपाल का जंगल उसे भा नहीं पाया। वहां से निकलकर जीनत ने झारखंड और फिर पश्चिम बंगाल के घने जंगलों का रुख किया।जीनत ने 27 दिसंबर को बंदवान से मनबाजार ब्लॉक के जंगलों तक का 15 किलोमीटर का सफर तय किया। वन विभाग ने उसके हर कदम पर नजर रखी, लेकिन उसे पकड़ने में पसीने छूट गए।
अब क्या होगा जीनत का?
वन्यजीव अधिकारियों के मुताबिक, जीनत को फिलहाल अस्थायी आवास में रखा जाएगा। उसकी स्वास्थ्य जांच के बाद उसे वापस सिमिलिपाल भेजने का निर्णय लिया जाएगा।
जंगल की इस ‘राहगीर’ का सफर भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन उसकी कहानी ने हमें यह जरूर सिखाया कि जंगल के जानवरों की अपनी दुनिया, अपनी चुनौतियां होती हैं।