
परवेज़ आलम की रिपोर्ट …………………
झारखंड पुलिस अब पुरानी फिल्मी स्टाइल में आ गई है! याद है वो डायलॉग? “दोस्ती बड़ी चीज़ है, दुश्मन को माफ़ करना उससे भी बड़ी चीज़ है”। लेकिन यहां मामला उल्टा है। झारखंड पुलिस अब दोस्तों और दुश्मनों की पूरी लिस्ट तैयार करने में जुट गई है।
दोस्त और दुश्मन का हिसाब किताब
राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने इस नए प्लान की शुरुआत की है। सभी जिलों के एसपी, डीआईजी, और आईजी को आदेश दिया गया है कि हर थाने में दो लिस्ट बनाई जाए।
- लिस्ट 1: “नो योर फ्रेंड्स” – मतलब, जो लोग पुलिस का साथ देते हैं, उनकी लिस्ट।
- लिस्ट 2: “नो योर एनिमी” – यानी, उग्रवादी, अपराधी, और वो लोग जो इनका समर्थन करते हैं।
इन दोनों लिस्टों का दस्तावेजीकरण डीएसपी और एसपी स्तर पर होगा।
कैसे बनेगी ये लिस्ट?
पुलिस थानों में दो श्रेणियों की लिस्ट तैयार होगी :
- दोस्तों की लिस्ट में वे लोग होंगे जो पुलिस का समर्थन करते हैं।
- दुश्मनों की लिस्ट में उग्रवादी, अपराधी, उनके ओवरग्राउंड वर्कर, और उनके मददगार।
अब होगा क्या?
जब ये लिस्ट बन जाएगी, तो पुलिस अपराधियों पर शिकंजा कसने की तैयारी करेगी।
क्या है प्लान के पीछे का मकसद?
झारखंड में उग्रवाद और अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस का ये नया कदम लिया गया है। दोस्तों की पहचान से पुलिस को सहयोग मिलेगा, और दुश्मनों की लिस्ट से पुलिस को सीधे ऐक्शन लेने का मौका।
लोगों का क्या कहना है?
कुछ लोग कह रहे हैं कि पुलिस अपने दोस्तों की मदद से अपराध पर रोक लगाएगी।
वहीं, आलोचकों का कहना है कि पुलिस की दोस्ती और दुश्मनी की परिभाषा क्या होगी, ये तो वक्त ही बताएगा।
अब देखना ये है कि ये “फ्रेंड्स एंड एनिमी लिस्ट” झारखंड पुलिस को अपराध रोकने में कितना मदद करती है। तब तक, गली में सावधान रहिए… क्या पता आप दोस्त की लिस्ट में हों या दुश्मन की!