मेला का उद्देश्य और महत्व.
इस किसान मेले का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराना और उनकी उपज में सुधार के साथ-साथ लागत कम करना है। मेले में कुल 18 स्टॉल लगाए गए, जिनमें कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन, और जैविक खेती से जुड़े संसाधनों और जानकारियों को प्रदर्शित किया गया।
मुख्य आकर्षण.
- फसल प्रदर्शनी: विभिन्न फलों, सब्जियों और जैविक उत्पादों की प्रदर्शनियों ने किसानों को नई किस्मों और संरक्षण विधियों से परिचित कराया।
- तकनीकी नवाचार: कृषि उपकरणों और वैज्ञानिक तकनीकों का लाइव डेमो दिया गया।
- स्टॉल निरीक्षण: उपायुक्त और जिला परिषद अध्यक्ष ने विभिन्न स्टॉलों का दौरा कर किसानों को उपलब्ध सुविधाओं और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।
प्रमुख वक्ताओं के विचार:
उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा, “यह मेला किसानों के लिए ज्ञान और नवाचार का केंद्र है। किसानों को जैविक खेती, फसल प्रबंधन, और विपणन तकनीकों पर जोर देना चाहिए। इन योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है।”
जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी ने कहा, “तकनीकी खेती को अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। पानी की कमी एक बड़ी समस्या है, और इसे हल करने के लिए चेक डैम और तालाब जैसी योजनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।”
कृषि विशेषज्ञों की सलाह.
जिला कृषि पदाधिकारी और अन्य विशेषज्ञों ने किसानों को बीज चयन, सिंचाई समय, फसल दूरी, और जैविक खादों के उपयोग जैसे विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर उत्पादन 5-7 गुना तक बढ़ सकता है।
महिला किसानों का योगदान.
महिला किसानों को भी प्रोत्साहित किया गया कि वे गृह वाटिका में मौसमी सब्जियां उगाएं और केंचुआ खाद, गोबर खाद का अधिक उपयोग करें। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
सरकार की पहल.
किसानों को ड्रॉप मोर क्रॉप और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की सलाह दी गई। कार्यक्रम के दौरान आत्मनिर्भर भारत की दिशा में किसानों को पशुपालन और कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़ने की प्रेरणा दी गई।
यह मेला न केवल कृषि क्षेत्र में नए अवसरों का द्वार खोलता है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।