
रिपोर्ट – परवेज़ आलम
गिरिडीह ज़िला अधिवक्ता संघ ने सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है! फैसला लिया गया है कि 25 फरवरी, मंगलवार को गिरिडीह व्यवहार न्यायालय के सभी वकील न्यायिक कार्यों से अलग रहेंगे। वजह? एडवोकेट (संशोधन) विधेयक, 2025 का मसौदा, जिसे लेकर अधिवक्ताओं में ज़बरदस्त नाराज़गी है!
संघ के उपाध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा मंटू ने खुलकर विरोध जताते हुए कहा, “यह विधेयक अधिवक्ताओं के अधिकारों और विशेषाधिकारों को सीमित करने की कोशिश करता है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है!”
अब ज़रा इधर भी देखिए—देशभर में वकीलों के विरोध का असर साफ दिखने लगा है! केंद्र सरकार बैकफुट पर आ गई है! केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने एक बड़ा ऐलान किया है! मंत्रालय ने कहा है कि विधेयक को फिर से संशोधित किया जाएगा और हितधारकों से दोबारा सलाह-मशविरा होगा।
मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक ध्रुव कुमार सिंह के दस्तख़त वाले पत्र में साफ लिखा गया है कि, “सरकार की प्राथमिकता पारदर्शिता है! 13 फरवरी को विधेयक को सार्वजनिक परामर्श के लिए डाला गया था, लेकिन अब जब इतने सुझाव और विरोध आ रहे हैं, तो हमें इसे फिर से संशोधित करना होगा!”
तो कुल मिलाकर, वकीलों की एकता रंग ला रही है! अब देखना ये है कि सरकार नया मसौदा लेकर कब आती है और क्या उसमें वकीलों की मांगों को शामिल किया जाता है या नहीं!