हार की असली वजहें:
कांग्रेस की समीक्षा में स्पष्ट हुआ है कि कई सीटों पर पार्टी के ही नेताओं ने भितरघात कर प्रत्याशियों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्थानीय संगठनों और उम्मीदवारों के बीच समन्वय की कमी भी हार का बड़ा कारण बनी।
जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र:
यहां पूर्व मंत्री बादल को भाजपा की मजबूत रणनीति और हरिनारायण राय की भाजपा से करीबी के कारण हार का सामना करना पड़ा। लंबे समय तक मंत्री रहने के दौरान उनके खिलाफ उपजा असंतोष भी उनकी हार की वजह बना।
जमशेदपुर पश्चिम सीट:
तत्कालीन मंत्री बन्ना गुप्ता वायरल वीडियो से उपजे विवाद के चलते प्रचार युद्ध में टिक नहीं पाए। जदयू के सरयू राय ने उनका पराजय दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
झरिया और धनबाद:
इन क्षेत्रों में संगठनात्मक तालमेल की कमी और स्थानीय इकाई का असहयोग हार का कारण बना। झरिया में कांग्रेस को सिटिंग सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा।
जमशेदपुर पूर्वी सीट:
यहां डॉ. अजय कुमार पार्टी के प्रत्याशी थे, लेकिन स्थानीय संगठन ने उनका साथ नहीं दिया। कई नेता अंदरूनी भितरघात में लगे रहे, जिससे पार्टी की संभावना धूमिल हो गई।
भविष्य की राह:
समीक्षा बैठक के बाद तैयार की गई रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को भेजी जाएगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने संकेत दिए हैं कि भितरघातियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
चुनाव परिणाम:
कांग्रेस ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 पर जीत हासिल की। पार्टी का मानना है कि बेहतर रणनीतिक तालमेल और आंतरिक समन्वय से सीटों की संख्या और बढ़ाई जा सकती थी।
संघर्ष जारी:
कांग्रेस ने यह भी स्वीकार किया है कि कमियों को सुधारने के बाद भविष्य में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। अब सबकी नजरें आलाकमान के फैसलों और भितरघातियों पर गिरने वाली गाज पर टिकी हैं।
