
परवेज़ आलम
गिरिडीह का खंडोली पर्यटन स्थल इन दिनों साइबेरियन पक्षियों के स्वागत में सराबोर है। झील के शांत पानी पर तैरते ये सफेद परिंदे और उनके कलरव से खंडोली का माहौल और भी मोहक हो गया है। अक्टूबर-नवंबर में हर साल साइबेरियन पक्षी यहां प्रवास के लिए आते हैं, लेकिन इस बार इनकी संख्या ने लोगों को और भी उत्साहित कर दिया है।
“झील पर पक्षियों का जलवा”
साइबेरियन क्रेन, गूज और स्वान की उपस्थिति खंडोली की झील को जैसे जीवंत बना देती है। ये पक्षी तिब्बत, मंगोलिया और मध्य एशिया से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं। झील के इर्द-गिर्द हरे-भरे जंगल और पहाड़ियों का सौंदर्य, इन परिंदों की खूबसूरती को और बढ़ा देता है।
“पर्यटकों के लिए खंडोली बना परिंदों का स्वर्ग”
पक्षी दर्शन और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए खंडोली इन दिनों हॉटस्पॉट बन गया है। नौका विहार करते हुए पर्यटक इन परिंदों की तस्वीरें लेने से खुद को रोक नहीं पाते। खंडोली झील पर पंछियों के साथ बिताए पल, यहां आने वाले हर व्यक्ति के लिए यादगार बन जाते हैं।
“प्रकृति को बचाने की गुहार”
पक्षी शोधकर्ताओं ने खंडोली जलाशय को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि ये पक्षी दिसंबर से जनवरी तक यहां प्रवास करते हैं और मार्च के अंत में अपने देश लौट जाते हैं। “प्राकृतिक आवास और सुरक्षा इन पक्षियों के लिए अनिवार्य है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए,”
“साइबेरियन परिंदों के साथ खंडोली का जादू”
खंडोली की झील इन परिंदों के साथ पर्यावरण प्रेमियों और सैलानियों के लिए एक खूबसूरत तोहफा है। झारखंड के इस छोटे से कोने में हर साल ये मेहमान प्रकृति का जादू बिखेरते हैं। अगर आपने अभी तक इनका दीदार नहीं किया, तो यह मौका हाथ से जाने मत दीजिए।