झारखंड में नक्सलवाद पर अंतिम प्रहार: कोल्हान बना आखिरी मोर्चा, शीर्ष नेतृत्व लगभग नेस्तनाबूद

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परवेज़ आलम.

झारखंड के जंगलों में चल रही एक पुरानी जंग अब अपने अंतिम मोड़ पर है। बरसों से राज्य के विकास और सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाले माओवादियों के खिलाफ पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने निर्णायक मोर्चा खोल दिया है। डीजीपी अनुराग गुप्ता का बयान अब सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि मैदान पर उतर चुकी एक रणनीति का हिस्सा है।

मार्च 2026 की डेडलाइन से पहले ही झारखंड करेगा निर्णायक वार.

बोकारो में हाल ही में हुए मुठभेड़ के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में झारखंड पुलिस प्रमुख डीजीपी अनुराग गुप्ता ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने भले ही मार्च 2026 तक माओवाद खत्म करने का लक्ष्य तय किया हो, लेकिन राज्य पुलिस उससे पहले ही सारंडा और कोल्हान जैसे नक्सल गढ़ों से माओवादियों का पूरी तरह सफाया करने की ओर अग्रसर है।

लुगू पहाड़ी की मुठभेड़: माओवादियों को चेतावनी का संदेश.

लुगू पहाड़ी में हुई मुठभेड़ को डीजीपी ने ‘टर्निंग पॉइंट’ बताया। यह वह घटना है जिससे नक्सलियों को न केवल सैन्य हार मिली, बल्कि मनोवैज्ञानिक झटका भी लगा। डीजीपी ने कहा कि यह घटना माओवादियों के लिए “सबक” है और उन्होंने उन्हें सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत मुख्यधारा में लौटने की सलाह दी।

अब कोई माओवादी अदृश्यनहीं.

राज्य पुलिस के पास हर सक्रिय माओवादी की लोकेशन, नेटवर्क, फंडिंग स्रोत और गतिविधियों की जानकारी है। यह वही रणनीतिक जानकारी है जिसने माओवादियों के एक-एक किले को कमजोर किया है। डीजीपी के अनुसार, “अब वे न छिप सकते हैं, न बच सकते हैं।”

तीन बचा, लेकिन घेरे में: करोड़ों के इनामी नक्सलियों की अंतिम सूची

झारखंड में अब सिर्फ तीन नक्सली ऐसे बचे हैं जिनके सिर पर ₹1 करोड़ का इनाम है:

  1. मिसिर बेसरा – भाकपा माओवादी का ईआरबी सचिव
  2. पतिराम मांझी – सेंट्रल कमेटी मेंबर
  3. आकाश मंडल उर्फ अनमोल – कोल्हान में सक्रिय

ये तीनों अब सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं। साथ ही, एनकाउंटर से बच निकले एक अन्य नक्सली “प्रवेश” पर भी जल्द ₹1 करोड़ का इनाम घोषित किया जा सकता है।

प्रयाग मांझी उर्फ विवेक: एनकाउंटर में मारे गए पहले करोड़पति नक्सली

इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता थी – प्रयाग मांझी उर्फ विवेक की मुठभेड़ में मौत। वह झारखंड पुलिस द्वारा मारे गए पहले ₹1 करोड़ के इनामी नक्सली बने। उनके मारे जाने से उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र में माओवाद का लगभग सफाया हो गया।

नक्सलवाद का ढहता नेतृत्व: गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण की श्रृंखला

झारखंड में नक्सल आंदोलन के सबसे बड़े नेताओं की या तो गिरफ्तारी हो चुकी है या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है:

  • प्रशांत बोस उर्फ किशन दा: सेकेंड इन कमांड, गिरफ्तार
  • कंचन दा उर्फ कबीर: थिंक टैंक, गिरफ्तार
  • महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, रिमी दी, अभय जी: आत्मसमर्पण

2021 से फरवरी 2025 तक 1490 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं। इनमें कई नाम जैसे प्रभा दी, सुधीर किस्कू, नंदलाल मांझी और बलराम उरांव शामिल हैं जिन पर 10 से 25 लाख तक का इनाम था।

बूढ़ा पहाड़ से कोल्हान तक: कमजोर होता नक्सली नेटवर्क.

कभी झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ का प्रमुख माओवादी किला माना जाने वाला बूढ़ा पहाड़ अब नेतृत्वविहीन हो चुका है।

  • देवकुमार सिंह (अरविंद जी) की मौत,
  • सुधाकरण का सरेंडर,
  • मिथिलेश महतो की गिरफ्तारी—
    इन घटनाओं ने संगठन को झकझोर दिया।

अब नक्सली नेतृत्व केवल कोल्हान तक सिमट गया है, जहाँ अंतिम शेष शीर्ष माओवादी अब सुरक्षा बलों के रडार पर हैं।

क्या यह नक्सलवाद का अंतिम अध्याय है?

झारखंड में जो कभी नक्सलियों का अघोषित किला था, वहां अब पुलिस की रणनीति, जानकारी और जमीन पर पकड़ ने बागियों की रीढ़ तोड़ दी है।
कोल्हान आखिरी मोर्चा है और माओवादियों के पास दो ही विकल्प बचे हैं—आत्मसमर्पण या अंतिम लड़ाई।

 

The News Post4u

Perwez Alam is one of the founder of The News Post4U, he brings over 4 decades of Journalism of experience, having worked with Zee News, Sadhna News, News 11, Bureau cheif of Dainik Jargarn, Govt. Accredited Crosspondent of Hindustan daily, Jansatta ect, He loves doing human intrest, political and crime related stories. Contact : 9431395522

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