
रांची: राजनीति की गहमागहमी के बीच झारखंड में इंडिया गठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जहां सत्ता पक्ष ने एक बार फिर एकजुटता का परिचय दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकों को अपने आवास पर आमंत्रित कर स्पष्ट संदेश दिया—सदन में पूरी तैयारी के साथ उतरना है।
मुख्यमंत्री ने बैठक में साफ किया कि विपक्ष के वार को उन्हीं की शैली में जवाब देना होगा। उन्होंने कहा, “सरकार ने पिछले कार्यकाल में जनता के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं। सदन के भीतर हमें अपनी उपलब्धियों को मजबूती से रखना होगा।”
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 9 दिसंबर से 12 दिसंबर तक चलने वाला है। इसे लेकर सरकार की प्राथमिकता विपक्ष के सवालों का जवाब देने और अपनी योजनाओं को जनता के सामने रखने की है।
उपाध्यक्ष पद की मांग ने पकड़ा जोर
बैठक में कांग्रेस विधायकों ने सदन में उपाध्यक्ष पद को लेकर अपनी नाराजगी जताई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा, “झारखंड विधानसभा में वर्षों से उपाध्यक्ष पद रिक्त है। यह स्थिति संसदीय व्यवस्था को कमजोर करती है। हमें उम्मीद है कि सरकार इस पर जल्द विचार करेगी।”
गठबंधन के इस बैठक में कांग्रेस की तरफ से कुछ चेहरे नदारद रहे। मंत्री शिल्पा नेहा तिर्की, कांग्रेस विधायक सोना राम सिंकू, और राजद के विधायक संजय सिंह यादव की अनुपस्थिति ने सवाल जरूर खड़े किए, लेकिन गठबंधन की समग्र एकजुटता पर इसका खास असर नहीं दिखा।
कांग्रेस विधायक दल का नेता: इंतजार अभी बाकी
कांग्रेस में विधायक दल के नेता का चयन अभी भी अधर में लटका हुआ है। पार्टी के भीतर गहमागहमी है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। हाल ही में प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने इस मुद्दे पर विधायकों से चर्चा की थी, लेकिन अंतिम फैसला दिल्ली में होना बाकी है।
इस बैठक ने साफ कर दिया कि झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इंडिया गठबंधन पूरी तैयारी के साथ उतरेगा। सत्ता पक्ष अपनी नीतियों और उपलब्धियों को प्रमुखता से पेश करने के लिए तैयार है।
आगामी सत्र सिर्फ विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस का मंच नहीं होगा, बल्कि झारखंड की राजनीति में नई दिशा तय करने का अवसर भी बनेगा।