
By The News Post4u.
रांची: झारखंड की राजधानी रांची बुधवार को फिर एक बार आदिवासी संगठनों के आह्वान पर ठहर गई है। सरना धार्मिक स्थल के पास बन रहे फ्लाईओवर के रैंप को लेकर उपजा विवाद अब सड़कों तक आ पहुंचा है। ‘आदिवासी बचाओ मोर्चा’ और ‘केंद्रीय सरना स्थल सिरमटोली बचाओ मोर्चा’ जैसे संगठनों के नेतृत्व में राज्यव्यापी झारखंड बंद का आयोजन किया गया। इस दौरान राजधानी सहित कई जिलों में सड़कें जाम रहीं, बाजार बंद रहे और यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
क्या है विवाद की जड़?
रांची के सिरमटोली स्थित सरना स्थल, जो कि आदिवासी समुदाय का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है, उसके पास एक फ्लाईओवर का रैंप बनाया गया है। यह फ्लाईओवर 2.34 किलोमीटर लंबा है, जिसमें रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरता 132 मीटर का हिस्सा भी शामिल है। इसका उद्देश्य सिरमटोली को मेकॉन इलाके से जोड़कर ट्रैफिक जाम से निजात दिलाना है।
हालांकि, आदिवासी संगठनों का कहना है कि यह रैंप उनके पवित्र स्थल की पवित्रता को आहत कर रहा है और सरहुल जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान हजारों श्रद्धालुओं की आवाजाही में रुकावट बनेगा। समुदाय का यह भी दावा है कि यह धार्मिक स्थल तक जाने के मार्ग में सीधी बाधा बन रहा है।
मांगें क्या हैं?
प्रदर्शन कर रहे संगठनों की मांगें केवल रैंप तक सीमित नहीं हैं। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- फ्लाईओवर रैंप को तत्काल हटाया जाए
- आदिवासी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए
- पेसा (PESA) अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाए
- आदिवासी जमीनों से अवैध कब्जे हटाए जाएं
विरोध का स्वर तेज, रांची बंद का असर व्यापक.
बंद के समर्थन में मंगलवार शाम रांची में मशाल जुलूस निकाला गया था, जिसके बाद बुधवार सुबह से ही पूरे राज्य, खासकर राजधानी रांची में असर देखा गया। आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और कई स्थानों पर चक्का जाम किया गया।
रांची-डाल्टनगंज मार्ग को बिजूपाड़ा के पास अवरुद्ध कर दिया गया, वहीं टाटीसिलवे, कांके, मांडर, ओरमांझी, रातू समेत ग्रामीण इलाकों में भी सड़कें जाम कर दी गईं। रामगढ़ के कुजू में पुलिस ने सड़क जाम कर रहे एक दर्जन से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। वहीं, सिमडेगा में एनएच-143 को सुबह-सुबह जाम कर दिया गया। बंद के मद्देनजर रांची समेत सभी संवेदनशील इलाकों में भारी सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी ।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे विरोध.
इससे पहले 22 मार्च 2024 को भी इसी मुद्दे को लेकर राजधानी में 18 घंटे का बंद रखा गया था, जिसमें हिनू, अरगोड़ा, कांटाटोली, हरमू, कोकर जैसे इलाकों में भारी प्रदर्शन हुआ था। उस समय पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच कई स्थानों पर झड़प भी हुई थी। रांची-लोहरदगा रोड समेत कई मार्गों पर बांस की बैरिकेडिंग कर रास्ता रोका गया था, जिससे बस, ऑटो और टैक्सी सेवाएं भी प्रभावित हुई थीं।
अब क्या आगे?
फ्लाईओवर लगभग बनकर तैयार है, लेकिन विवाद अभी थमा नहीं है। आदिवासी संगठनों की ओर से साफ कहा गया है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। राज्य सरकार की तरफ से अब तक कोई निर्णायक बयान नहीं आया है। राजनीति और समाज के लिए यह आंदोलन एक गंभीर संकेत है। यह केवल एक रैंप का विरोध नहीं है, बल्कि आदिवासी अस्मिता, धार्मिक स्वतंत्रता और भूमि अधिकारों से जुड़ा एक व्यापक मुद्दा है। सरकार को चाहिए कि वह बातचीत के माध्यम से समाधान निकाले, ताकि विकास और परंपरा दोनों के बीच संतुलन कायम रह सके।